पानी के रूप
पानी के रूप धरती का जब मन टूटा तो झरना बन कर फूटा पानी हृदय हिमालय का पिघला जब नदिया बन कर बहता पानी ।। पेट की आग बुझावन हेतु टप टप मेहनत टपका पानी उर में दर्द समाया जब जब आँसू बन कर बहता पानी ।।…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० सुशीला जोशी के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
पानी के रूप धरती का जब मन टूटा तो झरना बन कर फूटा पानी हृदय हिमालय का पिघला जब नदिया बन कर बहता पानी ।। पेट की आग बुझावन हेतु टप टप मेहनत टपका पानी उर में दर्द समाया जब जब आँसू बन कर बहता पानी ।।…
अंतरतम पीड़ा जागी खोया स्वत्व दिवा ने अपनाअंतरतम पीड़ा जागीघूँघट हैं छुपाये तब तब हीधडकन में व्रीडा जागी । अधर कपोल अबीर भरे सेसस्मित हास् लुटाती सीसतरंगी सी चुनर ओढ़ेद्वन्द विरोध मिटाती सीथाम हाथ साजन के कर मेंसकुचाती अलबेली सीसिहर…