नारी चेतना पर कविता

नारी चेतना पर कविता ऐ! नारीतू करती है अराधनाउन अराध्यों कीजो हैं तेरे दोषीकिया शोषण सदैवजिन्होंने तेरा समझा तुझेश्रंगार-रस कीविषय-वस्तुनहीं दिया हकसमानता काकिया सदैव भेदभाव गवाह हैं इस सबकेअनेक धर्म-ग्रंथजो चीख-चीख करकरते हैं ब्यानतेरे शोषण की कहानी -विनोद सिल्ला©

पढ़ा-लिखा मूर्ख पर कविता

पढ़ा-लिखा मूर्ख पर कविता मोहम्मद तुगलकतू हर बाररात के अंधेरे मेंकरता है जारीतुगलकी फरमानजो लागू होते हैंरात के अंधेरे में हीतू उजालों से डरता तो नहींअपने फरमान सुनाने से पूर्वकर लिया कर कुछ विचार विगत में भीजारी किए फरमानगलत नहीं थेसोने की जगहतांबे की मुद्रा चलानाउचित निर्णय थाराजधानी बदलना भीउचित निर्णय थाउपयुक्त तैयारी का अभावरहा … Read more

जिंदाबाद पर कविता

जिंदाबाद पर कविता लाईलाज घातकवायरस के आगमन परदेवालय, खुदालय व गोडालयया अन्य धर्मस्थलसब बंद हैंआरती, अजान व प्रार्थनाअनिश्चित काल के लिएटाल दीं गईं हैंअनुष्ठान निलंबित हैंटोने-टोटकेजादू-मंत्रसब निष्प्रभावी हैंखुले हैंऔषधालय, दवालय व जांचालयचिकित्सक जिंदाबादबहुउद्देशीय स्वास्थ्य-कर्मी जिंदाबादविज्ञान जिंदाबादमास्क बनाने वालेजिंदाबादमास्क बांटने वालेजिंदाबाद -विनोद सिल्ला©

घर-बेघर पर कविता

घर-बेघर पर कविता सरकार का आदेश हैआज मुझेऔर बाकी सब को भीघर पर रहना हैमैं और बाकी सबहर संभव प्रयास करकेघर पर ही रहेंगेलेकिन सरकारयह बताना भूल गईकहाँ रहेंगेनगरों-महानगरों के बेघरजिनका धरती बिछौनाआसमान ओढ़ना हैजो करते हैं विचरणसरकारों केमुख्यालयों की नाक के नीचेकहाँ रहेंगे वे खानाबदोशजो स्वयं केव पशुओं केभोजन की तलाश मेंघूमते हैंएक गांव … Read more

खादीधारी पर कविता

खादीधारी पर कविता समय-समय परपनप जाते हैंनए-नए नाम सेनए-नए वायरसजो करते हैं संक्रमितइंसानों कोबिना जाति-धर्म काभेदभाव किएढूंढ़ा जाता है उपचारइन वायरस का संसद-विधानसभाओं मेंचौकड़ी मारे बैठे वायरसजाति-धर्म के नाम परकरते हैं संक्रमितमानवता कोनहीं हुआ आज तककोई अनुसंधानइनके उपचार के लिएसर्वाधिक खतरनाक हैंये खादीधारी वायरसदिन प्रतिदिन इनका प्रकोपबढ़ता ही जा रहा है -विनोद सिल्ला©