नारी चेतना पर कविता
नारी चेतना पर कविता ऐ! नारीतू करती है अराधनाउन अराध्यों कीजो हैं तेरे दोषीकिया शोषण सदैवजिन्होंने तेरा समझा तुझेश्रंगार-रस कीविषय-वस्तुनहीं दिया हकसमानता काकिया सदैव भेदभाव गवाह हैं इस सबकेअनेक धर्म-ग्रंथजो चीख-चीख करकरते हैं ब्यानतेरे शोषण की कहानी -विनोद सिल्ला©