विश्वास टूटने पर कविता
विश्वास टूटने पर कविता खण्डित जब से विश्वास हुआ है , मनवा सिहर गया है।जीना दूभर लगता जाने क्या क्या गुज़र गया है।तिनका तिनका जोड़ घरौंदा मिल जुल सकल बनाया।ख्वाबों ,अरमानों ने मिल के पूरा महल सजाया ।वज्रपात जब हुआ नियति का जीवन बिखर गया है ।जीना दूभर लगता , जाने क्या क्या गुज़र गया … Read more