doha sangrah

तेरस के दोहे

तेरस के दोहे

  1. आयें है संसार मे, करो नेक सब काम।
    यहीं कर्म का फल मिले, स्वर्ग नरक की धाम।।
  2. यत्न सदा करते रहो, मान नही तुम हार।
    हाथ सफल लगते गले, होत न श्रम बेकार।।
  3. बरफ जमी है यूँ जमी, ठिठुर गये सब अंग।
    कम्बल टोपी ले रखो, पहन ढ़ाक तन संग।।
  4. शीत लहर चलने लगी, बरस रही कण ओस।
    शाम ढ़ले घर को चलो, ठंड बचे कर होश।।
  5. जंगल सदा दिखे हरा, ऎसे करना काम।
    पेड़ लगा जीवन बचा, यह है चारो धाम।।
  6. निर्मल पावन जल धरा, जीवन का आधार।
    पवन बहे नभ वन चमन, स्वप्न करो साकार।।
  7. खग कब ठग उड़ जात है, काया माया छोड़।
    दम्भ भाव को त्याग के, मधुर मिलन तो जोड़।।
  8. मादक बेहद विष घना, लत मे जन है आज।
    पतन राह से तन जला, गृह पट दुख गिर गाज।।
  9. बेटी बेटा सा लगे, नही करो तुम भेद।
    कन्या चलो बचाव करें, अकल थाल मत छेद।।
  10. फूँक – फूँककर पाँव रख, काँटे बिखरे राह।
    इधर – उधर अब ताकना, काबू रखो निगाह।।

तेरस कैवर्त्य (आँसू)
सोनाडुला, (बिलाईगढ़)
जिला – बलौदाबाजार (छ.ग.)

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