तेरस के दोहे
- आयें है संसार मे, करो नेक सब काम।
यहीं कर्म का फल मिले, स्वर्ग नरक की धाम।। - यत्न सदा करते रहो, मान नही तुम हार।
हाथ सफल लगते गले, होत न श्रम बेकार।। - बरफ जमी है यूँ जमी, ठिठुर गये सब अंग।
कम्बल टोपी ले रखो, पहन ढ़ाक तन संग।। - शीत लहर चलने लगी, बरस रही कण ओस।
शाम ढ़ले घर को चलो, ठंड बचे कर होश।। - जंगल सदा दिखे हरा, ऎसे करना काम।
पेड़ लगा जीवन बचा, यह है चारो धाम।। - निर्मल पावन जल धरा, जीवन का आधार।
पवन बहे नभ वन चमन, स्वप्न करो साकार।। - खग कब ठग उड़ जात है, काया माया छोड़।
दम्भ भाव को त्याग के, मधुर मिलन तो जोड़।। - मादक बेहद विष घना, लत मे जन है आज।
पतन राह से तन जला, गृह पट दुख गिर गाज।। - बेटी बेटा सा लगे, नही करो तुम भेद।
कन्या चलो बचाव करें, अकल थाल मत छेद।। - फूँक – फूँककर पाँव रख, काँटे बिखरे राह।
इधर – उधर अब ताकना, काबू रखो निगाह।।
तेरस कैवर्त्य (आँसू)
सोनाडुला, (बिलाईगढ़)
जिला – बलौदाबाजार (छ.ग.)