CLICK & SUPPORT

ये उन्मुक्त विचार -पुष्पा शर्मा”कुसुम”

ये उन्मुक्त विचार -पुष्पा शर्मा”कुसुम”

नील गगन  के विस्तार से
पंछी के फड़फड़ाते पंख से,
उड़ रहे, पवन के संग
ये उन्मुक्त विचार ।

पूर्ण चन्द्र के आकर्षण से
बढते उदधि में ज्वार से,
उछलते, तरंगों के संग
ये उन्मुक्त विचार।

बढती , सरिता के वेग से
कगारों के ढहते पेड़ से,
रुकते नहीं, भँवर में
ये उन्मुक्त विचार।

निर्झर के कल-कल नाद से
गिरि से गिरते सुन्दर प्रपात से,
वारि में प्रतिबिंब से
ये उन्मुक्त विचार।

उमड़ते रहते लेकर हिलोरे,
हृदय नभ घन गर्जन घेरे,
चमकते दामिनी से
ये उन्मुक्त विचार।

सृजन पथ, प्रतिहार से
ज्ञान ध्यान विवेक से,
हृदय ग्रन्थि खोलते
ये उन्मुक्त विचार ।

पुष्पाशर्मा”कुसुम”

CLICK & SUPPORT

You might also like