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उषा सुहानी लगे प्यारी

उषा सुहानी लगे प्यारी

उषा सुहानी लगे प्यारी

मंद पवन की ठंडक न्यारी

घोंसला छोड़ पंछी भागे

उषाकाल नींदों से जागे ।

           कोयल की सुन मीठी वाणी

           छुप छुप किया करे मनमानी

            शीतल मंद पवन मदमाती

            रवि किरण तन -मन को लुभाती।

कोहरा आकाश धुँधलाता ।

हरा भरा तृण उर लुभाता।

काँटों के बीच पुष्प मुस्काता ।

भौंरा जीवन गाथा गाता।

अर्चना पाठक ‘निरंतर’
अंबिकापुर

सरगुजा
छत्तीसगढ़

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