वक़्त कभी नाकाम नहीं होता – हिंदी कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

वक़्त कभी नाकाम नहीं होता
दिल दरिया कभी वीरान नहीं होता
जख्म खाए नहीं जिसने जमाने में
सदियाँ लगीं उसे मुस्कराने में
वक़्त का इन्तजार ना कर जालिम
वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता
वक़्त को कैद कर अपना बना ले
गया वक़्त दुबारा नहीं मिलता
इतिहास लिख धरा पर
वक़्त के माथे पर तिलक बन
वक़्त की कद्र करना सीख ले तू
वक़्त के आँचल में पलना सीख ले तू
वक़्त का दामन जो तूने छोड़ा तो
हर प्रयास तेरा नाकाम होगा
वक़्त के साए में जीना सीख ले तू
वक़्त के पालने में जीना सीख ले तू
बना वक़्त को चिरपरिचित मित्र अपना
वक़्त से सगा कोई मित्र नहीं होता