वन्दे मातरम् गाऊँगा

वन्दे मातरम् गाऊँगा

mahatma gandhi

बापू जी के चरखे को,
मैं भी खूब घुमाऊँगा।
सत्य-अहिंसा की बातें,
सबको रोज सुनाऊँगा।।

चाचा जी के लाल ग़ुलाब,
बाग़-बगीचे में लगाउँगा।
शीश झुकाकर चरणों में,
लाल ग़ुलाब चढ़ाऊँगा।।

पर्वत-घाटी ऊँचा चढ़कर,
तिरंगा ध्वज फहराउंगा।
चाहे दुनिया जो भी करले,
    वन्देमातरम् गाऊँगा।।

    ||स्वरचित||
उमेश श्रीवास”सरल”
मु.पो.+थाना-अमलीपदर
विकासखण्ड-मैनपुर
जिला-गरियाबंद,छत्तीसगढ़

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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