ये पुस्तकों की दुनिया- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

पुस्तक

ये पुस्तकों की दुनिया- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

ये पुस्तकों की दुनिया
होती नहीं बेमानी
देती हैं ज्ञान सबको
दिखाती हैं राह सबको

ये पुस्तकों की दुनिया

ये पुस्तकें जहां हों
फिर दोस्त न वहाँ हों
सच्चा दोस्त बनने का
सपना दिखाती पुस्तकें

ये पुस्तकों की दुनिया

इन पुस्तकों से नाता
सदियों रहा सभी का
ज्ञान को संजोती
संवारती ये पुस्तकें

ये पुस्तकों की दुनिया

ये पुस्तकें जहां हो
कहलाएं ज्ञान मंदिर
पूजा करें सब इनकी
कह गए बापू जी

ये पुस्तकों की दुनिया

पुस्तकों ने सभी को
सभ्यता सिखाई
इनके आचमन से
चहुँ रौशनी है छाई

ये पुस्तकों की दुनिया
होती नहीं बेमानी
देती हैं ज्ञान सबको
दिखाती हैं राह सबको

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *