1मार्च शून्य भेदभाव दिवस पर कविता / मनीभाई नवरत्न

1मार्च शून्य भेदभाव दिवस पर कविता / मनीभाई नवरत्न

शून्य भेदभाव दिवस पर, हम एक हो जाएँ ,
पूरा विश्व एकजुट, सुबह के सूरज के नीचे।
करते हैं आवाज़ बुलंद और स्पष्ट ,
नफ़रत को और न कहने के लिए,

भय को दूर करने के लिए।

हम सब एक जैसे हैं, त्वचा के नीचे खून से
कोई जाति नहीं, कोई धर्म या रिश्तेदार नहीं।
इंसान हैं हम सभी, जो पैदा होते हैं,
प्यार करने के लिए , आनंद पाने के लिए ।

अब विभाजनकारी दीवारों के ख़िलाफ़ खड़े होंगे,
वे बाधाएँ जो हमें अंदर से अलग रखती हैं।
हम भेदभाव की ताकत की जंजीरें तोड़ देंगे,
और न्याय पर प्रकाश डालेंगे , उज्ज्वल चमकेंगे ।

अपनी मतभेदों को स्वीकार करते हुए ,
विविधता की सुंदरता को अपनाएंगे।
हम स्वतंत्र होंगे तभी मजबूत होंगे ,
आओ, हम वह बदलाव लाकर दिखाएँ ।

हर्षोल्लास हृदय के साथ आगे बढ़ें,
दिलों में आशा और हवा में प्यार ।
इस दिन के लिए, हम सब एक होकर खड़े होंगे,
पाने को शांति की एक दुनिया ,

जहां सब कुछ एक हो जाए।

मनीभाई नवरत्न

You might also like