नव वर्ष आया
o आचार्य मायाराम ‘पतंग’
नया वर्ष आया नया वर्ष आया ।
नया वर्ष लेकर नया वर्ष आया ।।
उठो तुम नया आज उत्साह लेकर ।
चलो साथियों हाथ में हाथ लेकर ।
सतत युद्ध में वीरता से लड़ो तुम ।
कठिन पथ में धीरता से बढ़ो तुम ॥
प्रगति पथ खुला है स्वगति तो बढ़ाओ ।
कदम-से-कदम आज अपने मिलाओ ॥
विषम पर्वतों के शिखर भी लो।
झुका उन्हें काट कर मार्ग अपने बना लो ॥
नदी, झील कब जोश को रोक पाए।
साहस ने सचमुच समुंदर सुखाए ।
नव वर्ष में पुष्प नूतन खिलाओ।
जरा आदमी आदमी से मिलाओ ॥
कहीं आदमी भीड़ में खो गया है।
दिखाने का रोग उसे हो गया है।
सभी एक हैं यह सहज ज्ञान दे दो ।
इंसानियत की उसे पहचान दे दो ।
नए वर्ष का मीत स्वागत मनाओ।
नया काम खोजो, नए स्वर सजाओ।