12 मई नर्स दिवस पर विशेष कविता

12 मई नर्स दिवस पर विशेष कविता

मौत की दहलीज में ,जब कोई हो पड़े-पड़े।
खून से लथपथ ,अंग भंग हो के सड़े-सड़े ।
अपने तक तरस खाते,देख दूर खड़े-खड़े ।
तब एक महिला ,पस-दुर्गंधों से लड़े-लड़े।
अस्पताल में महत्वपूर्ण है इसकी भूमिका ।
“सिस्टर”कहते सब जिसे,वो है परिचारिका।


बीमारी की पहचान में डॉक्टर करता काम।
पर निदान प्रक्रिया में नर्स दे सफल अंजाम।
छुपी नहीं आज जग में नर्सों की काबिलियत।
“12 मई नर्स दिवस” मनाते जान अहमियत।
आज के दिन जन्मीं थी नर्सिंग की जन्मदात्री ।
जो थी साक्षात् दया व सेवा भाव की प्रतिमूर्ति ।
“फ्लोरेंस नाइटिंगल “थी   एक ब्रिटिश महिला ।
“क्रीमिया युद्ध” में जानी गई “लैंप वाली महिला”।


दिन तो क्या?सेवा में रात भी जाती लैंप लेकर ।
मरीजों की हाल जानने को, वो देवदूत बनकर।
दुर्गंध और चीख-पुकार से कभी ना मुख मोड़ा।
उच्चकुल की होके भी दुखियों से नाता जोड़ा ।
पहले घटिया समझा जाता था , नर्सों का पेशा ।
काम माना जाता अनपढ़ और चरित्रहीन जैसा ।
“लेडी विथ द लैंप” ने बदली , इसकी परिभाषा।
घायल पीड़ितों  में लाए , नव जीवन की आशा।
अस्पताल में सेवा करके, जीवन को करते आबाद  ।
“मनी भाई “ने  दिया कविता से नर्सों को धन्यवाद ।।

मनीभाई नवरत्न

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top