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15 मई विश्व परिवार दिवस पर लेख

15 मई विश्व परिवार दिवस पर लेख पढ़ने से पहले आप इस विषय पर अब तक कविता बहार में संग्रहित रचनाएँ पढ़िए :-

अब तक प्रकाशित रचनाएँ ( लोकप्रियता के आधार पर )

मुक्तक कविता

शिव महाकाल पर कविता – बाबू लाल शर्मा

हे नीलकंठ शिव महाकालभक्ति गीत- हे नीलकंठ शिव महाकाल (१६,१४मात्रिक)हे नीलकंठ शिव महाकाल,भूतनाथ हे अविनाशी!हिमराजा के जामाता शिव,गौरा के मन हिय वासी!देवों के सरदार सदाशिव,राम सिया के हो प्यारे!करो जगत कल्याण महा प्रभु,संकट हरलो जग…

विवाह-एक पवित्र बंधन

विवाह-एक पवित्र बंधनविवाह एक संस्कृति व संस्कार है।विवाह बंधनों का मधुर व्यवहार है।दो पवित्र आत्माओं का होता मिलन।लुटाएँ एक दूजे पर असीम प्यार है।1।सात जन्मों का है ये प्यारा बंधन।वंश बेला बढ़ाने का नाम है जीवन।केवल बंधन नहीं विवाह…

चतुष्पदी (मुक्तक) क्या है ? इसके लक्षण व उदाहरण

चतुष्पदी (मुक्तक) क्या है ? इसके लक्षण व उदाहरणचतुष्पदी (मुक्तक)—समान मात्राभार और समान लय वाली रचना को चतुष्पदी (मुक्तक) कहा गया है । चतुष्पदी में पहला, दूसरा और चौथा पद तुकान्त तथा तीसरा पद अतुकान्त होता है और जिसकी अभिव्यक्ति…

हम तुम दोनों मिल जाएँ

हम तुम दोनों मिल जाएँshadiमुक्तक (१६मात्रिक) हम-तुमहम तुम मिल नव साज सजाएँ,आओ अपना देश बनाएँ।अधिकारों की होड़ छोड़ दें,कर्तव्यों की होड़ लगाएँ।हम तुम मिलें समाज सुधारें,रीत प्रीत के गीत बघारें।छोड़ कुरीति कुचालें सारी,आओ नया समाज…

शिव महिमा

प्रस्तुत कविता शिव की महिमा भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

शिव स्तुति – केंवरा यदु मीरा

प्रस्तुत कविता शिव स्तुति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

शंकर छंद विधान : शिव महिमा -रमेश शर्मा

शिव महिमा (शंकर छंद विधान) : 26 मात्रा 16,10पर यति पदान्त गुरु लघु प्रति दो चरण तुकांत।प्रस्तुत कविता शंकर छंद विधान पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि…

घर का संस्कार है बेटी

घर का संस्कार है बेटीघर आँगन की शान,अभिमान है होती।माँ बाप की जान पहचान होती है बेटी।अक्सर शादी के बाद पराए हो जाते हैं बेटे।दो कुलों की मान-सम्मान होती है बेटी।1।माँ के रूप में ममता की मूरत है बेटी।पत्नी के रूप में फर्ज की सूरत है…

शिव स्तुति

इन्द्रवज्रा/उपेंद्र वज्रा/उपजाति छंदबासुदेव अग्रवाल ‘नमन’प्रस्तुत कविता शिव स्तुति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

विश्व परिवार दिवस 15 मई को मनाया जाता है। प्राणी जगत में परिवार सबसे छोटी इकाई है या फिर इस समाज में भी परिवार सबसे छोटी इकाई है। यह सामाजिक संगठन की मौलिक इकाई है। परिवार के अभाव में मानव समाज के संचालन की कल्पना भी दुष्कर है। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी परिवार का सदस्य रहा है या फिर है। उससे अलग होकर उसके अस्तित्व को सोचा नहीं जा सकता है।

हमारी संस्कृति और सभ्यता कितने ही परिवर्तनों को स्वीकार करके अपने को परिष्कृत कर ले, लेकिन परिवार संस्था के अस्तित्व पर कोई भी आंच नहीं आई। वह बने और बन कर भले टूटे हों लेकिन उनके अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता है। उसके स्वरूप में परिवर्तन आया और उसके मूल्यों में परिवर्तन हुआ लेकिन उसके अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाया जा सकता है। 

परिवार
१५-मई-विश्व-परिवार-दिवस || 15-May-World-Family-Day

परिवार का स्वरूप

परिवार व्यक्तियों का वह समूह होता है,  जो विवाह और रक्त सम्बन्धों से जुड़ा होता है जिसमें बच्चों का पालन पोषण होता है ।  परिवार एक  स्थायी और  सार्वभौमिक संस्था है।  किन्तु इसका स्वरूप  अलग अलग स्थानों पर भिन्न हो सकता है । 

पश्चिमी देशों में अधिकांश नाभिकीय  परिवार पाये जाते  हैं । नाभिकीय परिवार वे परिवार होते हैं जिनमें माता-पिता और उनके बच्चे रहते हैं । इन्हें एकाकी परिवार भी कहते हैं। जबकि भारत जैसे देश में सयुंक्त और विस्तृत परिवार की प्रधानता होती  है । संयुक्त परिवार वह परिवार है जिसमें माता पिता और बच्चों के साथ दादा दादी भी रहतें हैं । यदि इनके साथ चाचा चाची ताऊ या अन्य सदस्य भी रहते हैं तो इसे विस्तृत परिवार कहते हैं ।  वर्तमान में ऐसे परिवार बहुत कम देखने को मिलते हैं । व्यापरी वर्ग में विस्तृत परिवार अभी भी मिलते हैं ।  क्योंकि उन्हें व्यापार के लिये मानव शक्ति की आवश्यकता होती है ।परिवार के बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती ।

व्यक्ति के जीवन में परिवार की भूमिका

एक बच्चे के रूप में हमें जन्म देने के बाद परिवार में उपस्थित माता-पिता हमारा पालन पोषण करते हैं। ब्रश करने तथा जूते का फीता बाँधने से लेकर पढ़ा-लिखा कर समाज का एक शिक्षित वयस्क बनाते हैं। भाई-बहन के रूप में घर में ही हमें दोस्त मिल जाते हैं, जिनसे अकारण हमारी अनेक लड़ाई होती है। भावनात्मक सहारा और सुरक्षा भाई-बहन से बेहतर और कोई नहीं दे सकता है। घर के बड़े-बुजुर्ग के रूप में दादा-दादी, नाना-नानी बच्चे पर सर्वाधिक प्रेम न्यौछावर करते हैं।

कटु है पर सत्य है, व्यक्ति पर परिवार का साया न होने पर व्यक्ति अनाथ कहलाता है। इसलिए समृद्ध या गरीब परिवार का होना आवश्यक नहीं पर व्यक्ति के जीवन में परिवार का होना अतिआवश्यक है।

परिवार और हमारे मध्य दूरी के कारण

  • परिवार की अपेक्षाएं – हमारे किशोरावस्था में पहुंचने पर जहां हमें लगने लगता है हम बड़े हो गए हैं वहीं परिवार की कुछ अपेक्षाएं भी हम से जुड़ जाती हैं। ज़रूरी नहीं हम उन अपेक्षाओं पर खरे उतर पाए अंततः रिस्तों में खटास आ जाती है।
  • हमारा बदलता स्वरूप – किशोरावस्था में पहुंचने पर बाहरी दुनिया के प्रभाव में आकर हम स्वयं में अनेक परिवर्तन करना चाहते हैं, जैसे की अनेक दोस्त बनाना, प्रचलन में चल रहे कपड़े पहनना, परिस्थिति को अपने तरीके से हल करना आदि। इस सब तथ्यों पर हमारा परिवार हमारे साथ सख्ती से पेश आता है ऐसे में हमारी न समझी के कारण कई बार रिस्तों में दरार आ जाते हैं। यहां एक दूसरे को समझने की ज़रूरत है।
  • विचारधारा में असमानता – अलग पीढ़ी से संबंधित होने के वजह से हमारे विचार और हमारे परिवार जनों के विचारधारा में बहुत अधिक असमानता होती है। जिसके वजह से परिवार में क्लेश हो सकता है।

परिवार महत्वपूर्ण क्यों है?

  • व्यक्ति के व्यक्तित्व का पूर्ण निर्माण परिवार द्वारा होता है इसलिए सदैव समाज व्यक्ति के आचरण को देखकर उसके परिवार की प्रशंसा या अवहेलना करता है।
  • व्यक्ति के गुणों में जन्म से पूर्व ही उसके परिवार के कुछ अनुवांशिक गुण उसमें विद्यमान रहते हैं।
  • व्यक्ति की हर परेशानी (आर्थिक, समाजिक, निजी) परिवार के सहयोग से आसानी से हल हो सकती है।
  • मतलबी दुनिया में जहां किसी का कोई नहीं होता वहां हम परिवार के सदस्यों पर आख बंद कर के विश्वास कर सकते हैं।
  • परिवार व्यक्ति को मजबूत रूप से भावनात्मक सहारा प्रदान करता है।
  • जीवन में सब कुछ प्राप्त कर पाने की काबिलियत हमें, परिवार द्वारा प्रदान की जाती है।
  • परिवार के सही मार्ग दर्शन से व्यक्ति सफलता के उच्च शिखर को प्राप्त करता है इसके विपरीत गलत मार्ग दर्शन में व्यक्ति अपने पथ से भटक जाता है।
  • हमारे जीत पर हमारी सराहना तथा हार पर संतावना परिवार से मिलने पर हमारा आत्मविश्वास बढ़ जाता है। यह हमारे भविष्य के लिए कारगर साबित होता है।

परिवार के प्रति हमारा दायित्व

परिवार से प्राप्त प्यार और हमारे प्रति उनका निस्वार्थ समर्पण हमें उनका सदैव के लिए ऋणी बनाता है। अतः हमारा, हमारे परिवार के प्रति भी विशेष कर्तव्य बनता है।

  • बच्चों को सदैव अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए और स्वयं की बात समझाने का प्रयास करना चाहिए। किसी बात के लिए हठ करना उचित नहीं।
  • परिवार के इच्छाओं और अपेक्षाओं पर सदैव खरा उतरने का प्रयास करना चाहिए।
  • बच्चों और परिवार के मध्य कितना भी अनबन हो बच्चों को परिवार से दूर कभी नहीं होना चाहिए।
  • जिस बातों पर परिवार सहमत नहीं हैं, उन बातों पर पुनः विचार करना चाहिए और स्वयं समझने का प्रयास करना चाहिए।

निष्कर्ष

समाज में हमारे पिता के नाम के साथ हमें पहचान दिलाने से लेकर हमारे पिता को हमारे नाम से जानने तक, परिवार हमें हर प्रकार से सहयोग प्रदान करता है। परिवार के अभाव में हमारा कोई अस्तित्व नहीं है अतः हमें परिवार के महत्व को समझने की चेष्टा करनी चाहिए।

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