सुकमोती चौहान “रुचि” की 10 रचनाएँ

सुकमोती चौहान “रुचि” की 10 रचनाएँ एक अंकुरित पौधा एक अंकुरित आम , पड़ा था सड़क किनारे ।आते जाते लोग , सभी थे उसे निहारे ।।खोज रहा अस्तित्व , उठा ले कोई सज्जन ।दे दे जड़ को भूमि , लगा दे लेकर उपवन ।।करता वह चीत्कार है , जीना चाहूँ मैं सुनो ।मुझे सहारा दो तनिक … Read more

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मुकुटधर पांडेय की लोकप्रिय कवितायेँ

hindi kavi aur unki kavita

यहाँ पर मुकुटधर पांडेय की कुछ लोकप्रिय कवितायेँ प्रस्तुत की जा रही हैं जो भी आपको अच्छा लगे कमेट कर जरुर बताएँगे मेरा प्रकृति प्रेम / मुकुटधर पांडेय हरित पल्लवित नववृक्षों के दृश्य मनोहरहोते मुझको विश्व बीच हैं जैसे सुखकरसुखकर वैसे अन्य दृश्य होते न कभी हैंउनके आगे तुच्छ परम ने मुझे सभी हैं । … Read more

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श्रीमती पदमा साहू की 10 कवितायेँ

नारी का साहस जग में नारी का अवतार चार,माता , भार्या, पुत्री, बहना।सौम्य स्वभाव ,त्याग ,सेवा ,नारी का है अद्भुत गहना।नारी साहस, प्रेरणा की मूर्ति ,ममता ,वात्सल्य नारी का खजाना।नारी है गृहस्ती का पहिया,परिवार की आस्था और भावना।रणक्षेत्र में दुर्गा ,लक्ष्मी नारी ।समाज रक्षक शत्रु संहारणा ।प्राचीन नारी का गौरव देखो ,बनके उभरी सामाजिक संरचना।पशु … Read more

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कुंवर नारायण की लोकप्रिय कवितायेँ

कविता संग्रह

यहाँ पर कुंवर नारायण की लोकप्रिय कवितायेँ दिए जा रहे हैं जो भी आपको अच्छी लगे उसे आप कमेंट कर हमें जरुर बताएं बीमार नहीं है वह / कुंवर नारायण बीमार नहीं है वहकभी-कभी बीमार-सा पड़ जाता हैउनकी ख़ुशी के लिएजो सचमुच बीमार रहते हैं। किसी दिन मर भी सकता है वहउनकी खुशी के लिएजो … Read more

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भारतेंदु हरिश्चंद्र की लोकप्रिय कवितायेँ

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यहाँ पर भारतेंदु हरिश्चंद्र की लोकप्रिय कवितायेँ के पढेंगे . आपको जो भी कविता अच्छी लगे कमेंट करके जरुर बताएं

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सोहनलाल द्विवेदी की लोकप्रिय कवितायेँ

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जी होता चिड़िया बन जाऊँ / सोहनलाल द्विवेदी जी होता, चिड़िया बन जाऊँ!मैं नभ में उड़कर सुख पाऊँ! मैं फुदक-फुदककर डाली पर,डोलूँ तरु की हरियाली पर,फिर कुतर-कुतरकर फल खाऊँ!जी होता चिड़िया बन जाऊँ! कितना अच्छा इनका जीवन?आज़ाद सदा इनका तन-मन!मैं भी इन-सा गाना गाऊँ!जी होता, चिड़िया बन जाऊँ! जंगल-जंगल में उड़ विचरूँ,पर्वत घाटी की सैर … Read more

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हर तरफ है भ्रष्टाचार – आशीष कुमार

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प्रस्तुत गीत का शीर्षक “हर तरफ है भ्रष्टाचार है” जोकि आशीष कुमार (मोहनिया, कैमूर, बिहार) की रचना है. इसे वर्तमान समाज में फैले भ्रष्टाचार को आधार मानकर रचा गया है. इस रचना के माध्यम से बताया गया है कि हमारे समाज में भ्रष्टाचार कितनी गहरी पैठ बना चुका है.

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विनोद सिल्ला की व्यंग्य कवितायेँ

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यहाँ पर विनोद सिल्ला की व्यंग्य कवितायेँ प्रकाशित की गयी हैं आपको कौन सी अच्छी लगी कमेंट कर जरुर बताएँगे दो-दो भारत वंचितों  की  बस्तियां  इस  ओर  हैं,सम्पन्नों  की  बस्तियां  उस ओर  हैं, उधर महके  सम्पन्नता  में  छोर-छोर,इधर अभावग्रस्त  है  हर  कोर-कोर, उधर पकवानों की  महक  उठी  है,इधर पतीली उपेक्षित  सी  पड़ी  है, उधर पालतू … Read more

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सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की प्रसिद्ध कवितायेँ

कविता संग्रह

यहाँ पर सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की प्रसिद्ध कवितायेँ के बारे में बताया गया है , आपको कौन सी अच्छी लगी कमेंट कर जरुर बताएं खँडहर के प्रति / सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” खँड़हर! खड़े हो तुम आज भी?अदभुत अज्ञात उस पुरातन के मलिन साज!विस्मृति की नींद से जगाते हो क्यों हमें–करुणाकर, करुणामय गीत सदा गाते हुए? … Read more

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