विश्व करुणा दिवस पर विशेष शायरी
एक बेटी की करूणा जो अपने जन्म पर अपराधी सा महसूस करती अपनी मां को धैर्य बंधाती है
एक बेटी की करूणा जो अपने जन्म पर अपराधी सा महसूस करती अपनी मां को धैर्य बंधाती है
हमारी पाठशाला लोकेश कुमार भोई, सहायक शिक्षक, प्राथमिक शाला छिर्राबाहरा की पहली रचना है जिसे उन्होंने अपने स्कूल को समर्पित किया है.
प्रस्तुत हिंदी कविता का शीर्षक "बाल भिक्षुक" है जोकि आशीष कुमार मोहनिया, कैमुर, बिहार की रचना है. इसे वर्तमान समाज में दीन हीन अनाथ बच्चों की दयनीय स्थिति को ध्यान में रखकर लिखा गया है जिनका जीवन बसर आज भी मंदिर की सीढ़ियों पर या फिर हाट बाजार में भीख मांग कर होता है.
जीवन में आशावादी होना ही जीवन का परिचायक है ।
प्रस्तुत हिंदी छठ गीत का शीर्षक "कवन सुगवा मार देलस ठोरवा" है जोकि आशीष कुमार, मोहनिया, बिहार की रचना है. यह उत्तर भारतीयों की आस्था की के महान पर्व छठ पर्व को आधार मानकर लिखा गया है.
यह सपने सुकुमार कविता |महादेवी वर्मा यह सपने सुकुमार तुम्हारी स्मित से उजले!कर मेरे सजल दृगों की मधुर कहानी,इनका हर कण हुआ अमर करुणा वरदानी,उडे़ तृणों की बात तारकों से कहने यहचुन प्रभात के गीत, साँझ के रंग सलज ले!…
संघर्ष द्वारा ही पहचान होती है।