गीता एक जीवन धर्म
यह कविता भगवद गीता के महत्व और उसके जीवन में अनुपालन के लाभ को दर्शाती है। इसे आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
गीता का ज्ञान
गीता महज ग्रंथ नहीं, है यह जीवन धर्म।
अमल कर उपदेश को, जान ले ज्ञान मर्म।
गीता से मिलती, जीने का नजरिया।
सुखमय बनाती जो अपनी दिनचर्या।
ज्ञान झलके व्यवहार में।
सहारा बने मझधार में।
कहती गीता, फल मिलेगी, कर लो निस्वार्थ कर्म।
गीता महज ग्रंथ नहीं, है यह जीवन धर्म।
अर्जुन को सिखाया कृष्ण ने जीवन का सार,
कर्म पथ पर बढ़ चलो, नहीं हो कोई विकार।
न देखो फल की इच्छा, न हो मोह का जाल,
सत्य और धर्म की राह पर हो तुम्हारा बाल।
धैर्य और संतोष का पाठ, गीता हमें सिखाए,
संकट के क्षणों में भी, संयम हमें दिलाए।
जो भी हो कठिनाई, साहस से उसे सुलझाओ,
गीता के उपदेश से जीवन को संवारो।
अहम का त्याग करो, नफरत को भूल जाओ,
सच्चाई की राह पर, सदा चलते जाओ।
प्रेम और दया से, बनाओ अपना जीवन,
गीता के ज्ञान से, पाओ मोक्ष का द्वार।
योग और ध्यान का महत्व, गीता ने समझाया,
अंतर्मन की शांति में, सच्चा सुख पाया।
जो भी हो जीवन की दिशा, तुम स्वंय हो राहगीर,
गीता के संदेश से, बनो जीवन के अधिकारी।
गीता का संदेश है अमर, नश्वर इस संसार में,
उसका पालन करके देखो, सुख मिलेगा हर द्वार में।
सत्य, अहिंसा, और प्रेम की हो महक हर दम,
गीता महज ग्रंथ नहीं, है यह जीवन धर्म।
हर जीवन में गीता का प्रकाश फैलाओ,
अंधकार में भी राह की ज्योति बन जाओ।
धर्म, कर्म, और सत्य का हो आदर हर समय,
गीता का ज्ञान अपनाकर, पाओ सच्चा प्रेम।
यह कविता गीता के उपदेशों की महत्ता और उसके जीवन में अनुपालन से मिलने वाले सुख और शांति को दर्शाती है। गीता का ज्ञान हमें सही दिशा में चलने और जीवन को सफल और संतोषजनक बनाने की प्रेरणा देता है।
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मनीभाई नवरत्न