हनुमत पिरामिड
हे
वायु
तनय
हनुमान
दे वरदान
रहें खुस हाल
प्रभू हर हाल में ।
हे
दुखः
हर्ता हे
बजरंगी
राम दुलारे
भक्तन पुकारे
हे कष्ट विनाशक।
माँ
सीता
को प्यारे
ले-मुदृका
समुद्र लांधे
सिया सुधि लाये
भक्तन हितकारी ।
श्री
राम
छपते
लंका जला
दानव दल
संहार करके
बाग उजारे प्रभू।
ले
वैद
सुखेन
संजीवनी
लेकर आये
प्राण लक्ष्मण के
बचाये बजरंगी ।
हे
देव
मनाये
तुम्हें रक्षा
करो जगत
भव ताप हरो
हे नाथ महाबली ।
केवरा यदु “मीरा “
तुलसी पिरामिड
हे
विष्णु
प्रिया माँ
तुलसी तू
सब जग की
माता सुख दाता
तुलसी महारानी ।
हे
श्यामा
सुर वल्ली
ग्राम्य माता
तुमको मना
दीप जलाकर
वाँछित फल पाऊँ।
ले
जन्म
विजन
आई है माँ
भवन मेरी
हरि की प्यारी तू
श्यामवर्णी हे माते।
हे
श्यामे
तुम हो
गुणकारी
रोग ऊपर
रूज से रक्षा रत
संजीवनी हो तुम ।
हो
सर्दी
खाँसी तो
या बुखार
काली मिर्च व
तुलसी के पत्ते
उबालें काढ़ा पी लें।
हो
गर
दस्त तो
तुलसी के
पत्ते को जीरे
मिला के पीस लें
दिन में तीन बार ।
केवरा यदु “मीरा “
हनुमत पिरामिड
को
नहीं
जानत
जग में तु
दूत राम को।
महिमा दी तूने
सालासर ग्राम को।
राम लखन को लाए
पावन किष्किंधा धाम को।
सागर लांघा लंकिनी मारी
लंका में छेड़ दिया संग्राम को।
सौंप मुद्रिका उजाड़ी वाटिका
जारे तब लंका ललाम को।
स्वीकार करो बजरंगी
तुम मेरे प्रणाम को।
हे बाबा रक्षा कर
आठहुँ याम को।
‘नमन’ करूँ
पूर्ण करो
सारे ही
काम
को।
बासुदेव अग्रवाल नमन
तिनसुकिया
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