गांधी जी के सपनों पर कविता
गांधीजी के सपनों का है ये भारत,
उन्नत होकर विकसित होता ये भारत।
ग्रामीण परिवेश में जागरूकता बढ़ाया,
स्वदेशी अपनाकर अभियान चलाया।।
आर्थिक सामाजिक न्याय बताकर,
गाँव के विकास को समझाया।
व्यापकता की दृष्टि फैलाकर,
जाति,धर्म,भाषा के भेदभाव को मिटाया।।
नर-नारी को समानता दिलाकर,
जीवन जीने का ढंग बताया।
आमजनों को शिक्षा देकर,
मानव चेतना को जागृत कराया।।
नशा को अभिशाप बताकर,
समाज को आगे बढ़ाया।
हिंसा के ताण्डव समझाकर,
अहिंसा परमो धर्मः का पाठ पढ़ाया।।
समर्थ भारत का सपना संजोकर,
पूर्ण स्वालंबन का बीड़ा उठाया।
घर-घर चरखा हस्तकला द्वारा,
कुटीर उद्योग का बिगुल बजाया।।
रचनाकार:-प्रेमचंद साव “प्रेम”बसना
मो.नं. 8720030700