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बेटियों पर कविता

बेटियों पर कविता

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बेटियों से ही घर में आती खुशियाँ अपार।
बेटियों के बिन अधुरा घर संसार।।
गृहस्थ कार्यों में वह हाथ बटायें।
सभी काज को मंगल कर जाये।।
बिन बेटियों के जीवन न आगे बढ़ पाये।
अपनों के साथ मिलकर रहना हमें सिखलाये।।
घर में खुशी और मन में उमंग लिए।
अपनी दुखों को छुपाकर संग संग जिये।।जन्म हुई बेटी की,
घर में छायी खुशियाँ।
गुंज उठी घर आंगन,
जब लगाई किलकारियाँ।।
मंद मंद सी मुस्कान लिए,
ठुमक ठुमक कर चलती गलियाँ गलियाँ।
हँसती हैं जब खुलकर,
खिल उठती हैं फूलों की कलियाँ।।
घर आंगन में जब चलती हैं,
बजती है पायल छम-छम।
पहनती हैं हाथों में कंगन,
खूब खनकाती हैं खन-खन।।
फूलों सी कोमल, हिरनी से चंचल,
सहृदय भरी हुई होती हैं बेटियाँ।
रहती हैं माँ के संग,.
पर बाबुल की परी होती हैं बेटियाँ।।
कल तक अनपढ़ थी समाज में,
पर आज टाप टेन में आती हैं बेटियाँ।
घर के कामों के साथ साथ,
समाजिकता दिखलाती हैं बेटियाँ।।
अगर जरूरत पड़े तो,
देश के लिए मर मिट जायेंगी बेटियाँ।
बेटों से ये कम नहीं,
बेटा तो एक घर का चिराग है।
बेटियाँ संभालती है दो घरों को,
इनकी तो हृदय ही विराट है।।
आज सुन लो दुनिया वालों,
बेटियों की न हत्या करो।
जिस घर में जन्म ले बेटियाँ,
इस घर का तुम सम्मान करो।।
पवित्र है गंगा यमुना,
पवित्र है देश की सारी नदियाँ।
पवित्र है उस घर का आंगन,
जिस आंगन में पली बढ़ी है बेटियाँ।।
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—–रचनाकार प्रेमचन्द साव “प्रेम” बसना छ.ग……..
मो.नं. 8720030700

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