अहिंसा दिवस पर कविता

अहिंसा दिवस पर कविता: अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस महात्मा गांधी के जन्मदिन पर 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसे भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

mahatma gandhi

अहिंसा दिवस पर कविता

साबरमती के संत तुझे लाख बार प्रणाम है

साबरमती के संत तुझे, लाख बार प्रणाम है
अहिंसा के पुजारी तुझे,लाख बार प्रणाम है
स्वतन्त्रा की राह हो या, सत्यता की राह हो
हर राह में तेरे अटल, विचारों को प्रणाम है।


शांती के ध्वजा वाहक, राष्ट्रपिता हो देश के
स्वदेशी वस्तुओ की जिद को, कोटिश प्रणाम है।
साबरमती के संत तुझे,लाख बार प्रणाम है।
अहिंसा के पुजारी तुझे, लाख बार प्रणाम है।


भारत छोडो आन्दोलन या नमक सत्याग्रह हो
देशहित के तुम्हारे, जज्बे को प्रणाम है।
ना देखूँगा ना बोलूंगा, ना बुरा सुनूगा कभी
आपके इन उत्तम, विचारो को प्रणाम है।


साबरमती के संत तुझे,लाख बार प्रणाम है।
अहिंसा के पुजारी तुझे, लाख बार प्रणाम है।
छुआछुत छोडकर सबको गले लगाया
आपके विराट व्यक्तित्व को प्रणाम है।

सारी सुख सुविधा छोडी,धोती को पोशाक बनाया
आपकी इस सादगी को “सेठ” का प्रणाम है।
साबरमती के संत तुझे,लाख बार प्रणाम है।
अहिंसा के पुजारी तुझे, लाख बार प्रणाम है।

राहुल सेठ”राही”
राजस्थान

गाँधी तुमने नाम कमाया

जाने कितने कष्ट उठाकर गाँधी तुमने नाम कमाया ।
एक छड़ी के बल पर तूने भारत को आजाद कराया ।।


गाँधी तुम तो सदा रहे थे तन अरु मन दोनों से सच्चे ।
आज यहाँ के मानव देखो बात बात पर लगते कच्चे ।।

गाँधी देखो तेरी फोटो हैं लगी हुई दरबारों में ।
है रोज हारता सत्य झूठ से खुले आम बाजारों में ।।


गाँधी देखो तेरे वंशज ही तेरा अपमान कर रहे ।
तेरी तस्वीरों के आगे रिश्वत का व्यापार कर रहे ।।

गाँधी आज तुम्हारा नाम रिश्वत का पर्याय बन गया ।
देश कहीं भी जाये अपना घर भरना उद्देश्य रह गया ।।


नहीं सता तू बापू को सुन उनकी आत्मा धिक्कारेगी ।
तेरे करमों के ऊपर सुन तेरी सन्तति पछतायेगी ।।

पहले आचरण शुद्ध करें हम तभी गाँधी बन पायेंगें ।

देश हितों का ध्यान रखोगे तब तो बापू कह लायेंगें ।।

आदेश कुमार पंकज
रेणुसागर सोनभद्र
उत्तर प्रदेश
मोब.न. 9140189159

बापू के सपना

1
मेरे बापू का था सपना,स्वच्छ भारत हो अपना
नहीं मैली रहे गंगा, नहीं गन्दा रहे यमुना
बने सोने की फिर चिड़ियां,कदम चूमे पूरी दुनियां
नहीं लाचार हो कोई,ना हिंसा की कोई घटना।

2
जमीं पे लौट कर देखो,हुआ है हश्र क्या देखो
हुई गंगा बहुत मैली,नदी का हाल क्या देखो
बहुत हिंसा है फैली,चले हर बात पे गोली
बड़ा बीमार सिस्टम है,हुआ बेहाल  क्या देखो।

3
नमन हम आज करते हैं,तुम्हें हम याद करते हैं
तेरे कदमों पे ही चलना,यही फरियाद करते हैं
तेरे सपनों के भारत की,हमें आधार है रखना
अहिंसा और सुरक्षा की,अब शुरुआत करते हैं।

©पंकज प्रियम
पता:-बसखारो ,थाना-जमुआ

बनना गांधी सा आसान नहीं

माँ ओ माँ
मुझको समझाओ ना
जीवन का फलसफा
कोई कहता जैसे को तैसा
कोई कहता बन गांधी सा
मेरी समझ में आता नहीं
क्या ग़लत ? क्या सही ?
लल्ला ओ लल्ला
जैसे को तैसा
मैं कहती नहीं है गलत
पर बनना गांधी सा आसान नहीं
निस्वार्थ जीना सबके बस की बात नही
इतिहास रचता कोई मामुली इंसान नहीं.


देश पर समर्पित होना
किसी को ना आहत करना
अंग्रेजों का जुर्म सहना
मुँह से कुछ न कहना
हे राम कहते आगे बढ़ना
माँ भारती के लिए
जहर के घुट पिए
तनिक भी उफ्फ ना किए
देश पर समर्पित हुए
जैसे को तैसा करनेवाला
आहत करता कई कई बार
जान भी लेता बेदर्दी
खुद को भी करता बर्बाद
मानवता को करता तार-तार
हो सके तो गांधी बनना
सबको तू माफ़ करना
अपना चरित्र  साफ़ रखना
अहिंसा से न्याय करना
जाती है तो जाए जान


सोचो जो हो जाए सब गौतम गांधी
देश में होगी सुकून शांति
उड़ेगी प्रेम की अद्भुत  आंधी
अपने हिस्से का फर्ज निभाना
हो सके तो गांधी सा बनना
कोख मेरी भी धन्य करना।

पूनम राजेश तिवारी
नागपुर, महाराष्ट्र

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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