अंतः प्रेरणा
निज उर की अंतः प्रेरणा, सम्मोहक उद्धार है ।
अंतः पुर का आत्म बल , मनुज विजय आधार है।।
मन प्रेरित अंतः प्रेरणा , पूरित करती लक्ष्य है।
आवेगो की पहचान कर , नाहक करती भक्ष्य है।।
जागृत कर अंतः प्रेरणा , मूल पाप का जान लो ।
छल छिद्र कपट को त्यागकर, मूल धर्म पहचान लो।।
निज भुजबल से ही बल मिले, छोड़ो दूजे आस को ।
तरंगिणी अंतः प्रेरणा, फिर क्यों तड़पे प्यास को।।
आत्मशक्ति अंतः प्रेरणा, सुखकर अंतर्ध्यान है।
तज जागृत स्वप्न सुसुप्त को, तुर्यातित सत ज्ञान है।।
पद्मा साहू ” पर्वणी”
खैरागढ़ राजनांदगांव छत्तीसगढ़