औरत पर कविता -हरभगवान चावला

औरत पर कविता



औरत को थोड़ा सुख मिलता
तो चेहरे पर झलक जाता
दुख का उसके चेहरे से
बहुत देर तक
पता ही नहीं चलता था
सबको खिलाने के बाद
जो बचता, वो खाती
और सुखी हो जाती
सुखी गृहस्थी का यह सुख
उसने छुटपन में
गुड्डे गुड़ियों के ब्याह से सीखा था।

हरभगवान चावला
सिरसा, हरियाणा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *