Author: कविता बहार

  • वंसुधरा पर कविता/ महेश गुप्ता जौनपुरी

    वंसुधरा पर कविता/ महेश गुप्ता जौनपुरी

    burning earth

    वंसुधरा पर कविता / महेश गुप्ता जौनपुरी

    दिन प्रतिदिन कटते जा रहे हैं 
    वन्य पेड़ झाड़ियॉ
    प्रदुषण की ललकार ने
    पैरो में डाल दी रोगो की बेड़िया 
    घुटते जा रहे हैं इंसान
    अपने कर्म की अठखेलियो से
    पेड़ को काटकर…..
    उजाड़ रहे हैं परिन्दो के खरौदे
    भूमण्डल में गजब का हलचल छाया हैं
    आने वाला साल मौत फरमाया हैं
    यू काटते रहें पेड़ तो
    अस्तित्व खत्म हो जायेगा
    धरा भी धीरे – धीरे त्रिण हो जायेगा
    इंसान अपने ही स्वार्थ से
    जीवन को खतरे में डाल रहा
    चेहरे की हँसी सिमट सी गयी
    भोर की हवा थम सी गयी
    प्रदुषण के मार से
    धरा पर तापमान बढ़ सा गया 
    एक कदम बढ़ाना ही होगा हम सभी को
    विरान वंसुधरा को हरा भरा बनना ही होगा

              महेश गुप्ता जौनपुरी
         मोबाइल – 9918845864

  • तांका काव्य विधा पर रचनायें

    तांका काव्य विधा पर रचनायें

    तांका एक प्राचीन जापानी काव्य विधा है जो संक्षिप्त और संरचित रूप में गहन भावनाओं और विचारों को व्यक्त करती है। यह विधा पाँच पंक्तियों में लिखी जाती है, और प्रत्येक पंक्ति में निर्धारित मात्रा होती है। तांका का शाब्दिक अर्थ “लघु गीत” या “छोटा गीत” होता है। इसे “वाका” के रूप में भी जाना जाता है।

    literature in hindi
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    संरचना:

    तांका की संरचना निम्नलिखित प्रकार की होती है:

    1. पहली पंक्ति में 5 मात्राएँ (syllables)
    2. दूसरी पंक्ति में 7 मात्राएँ
    3. तीसरी पंक्ति में 5 मात्राएँ
    4. चौथी पंक्ति में 7 मात्राएँ
    5. पाँचवीं पंक्ति में 7 मात्राएँ

    तांका काव्य विधा पर रचनायें

    1
    धुंध के फाहे
    भोर में सैर करे
    छल्ले उड़ाते
    सूर्य काँपते आते
    दुल्हन सी शर्माते ।।

    2
    बर्फ से ढँके
    झील मैदान बने
    पुस का दम
    श्वेत कर्फ़्यू लगा के
    शीत देता पहरे ।।

    3
    शीत की बाड़ी
    गाजर , मूली , गोभी
    बड़ी सुहाती
    धुंध , ओस भी पाले
    पुस बड़ी मायावी ।।

    तांका की विशेषताएँ:

    1. संक्षिप्तता: तांका में बहुत ही संक्षेप में भावनाओं को व्यक्त किया जाता है।
    2. प्राकृतिक चित्रण: तांका में अक्सर प्रकृति, मौसम, और प्राकृतिक दृश्य का वर्णन होता है।
    3. गहन भावनाएँ: यह काव्य विधा गहरी और सूक्ष्म भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम होती है।
    4. स्वर और लय: तांका में एक विशेष लय और ध्वनि होती है, जो इसे संगीतात्मक बनाती है।

    तांका का ऐतिहासिक महत्व:

    तांका काव्य विधा जापानी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह जापान के प्राचीन काल से लेकर आज तक लोकप्रिय रही है। इसका उपयोग शाही दरबार से लेकर आम जनता के बीच हुआ है। तांका ने जापानी साहित्य को समृद्ध किया और इसे एक विशेष पहचान दी।

    निष्कर्ष:

    तांका काव्य विधा अपनी संक्षिप्तता, संरचना, और गहन भावनाओं को अभिव्यक्त करने की क्षमता के कारण विशेष स्थान रखती है। यह जापानी संस्कृति और साहित्य की अमूल्य धरोहर है, जो हमें कम शब्दों में अधिक कहने की कला सिखाती है।

  • प्यार करते हो उनको बता दीजिए/ कवि बृजमोहन श्रीवास्तव

    प्यार करते हो उनको बता दीजिए/ कवि बृजमोहन श्रीवास्तव

    इस कविता में कवि बृजमोहन श्रीवास्तव ने प्रेम के इज़हार की खूबसूरती और आवश्यकता को वर्णित किया है। उन्होंने कहा है कि दिल में छुपे प्यार को साफ़ और सच्चे तरीके से व्यक्त करना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी न रहे और प्रेम की राहें सजीव और उज्ज्वल बनें।

    प्यार का जोड़ा

    प्यार करते हो उनको बता दीजिए/ कवि बृजमोहन श्रीवास्तव

    प्यार करते हो उनको बता दीजिए  ।
    आग है इक तरफ तो बुझा दीजिए ।।
    उनके खत पढ़के खामोश रहते क्यो ।
    खुद को इतनी बड़ी मत सजा दीजिए ।।
    फैसला खुद का खुद से करना नही ।
    गेंद पाले में उनके गिरा दीजिए ।।
    इश्क के इस तराजू  में तौला हमें   ।
    प्यार कैसे पड़ा कम बता दीजिए ।।
    इस शह़र ही रहते शायद कहीं ।
    हो सके आज उनसे मिला दीजिए ।।
    आज दिल ये हुआ जाने बैचेन क्यो  ।
    नूर साथी को इक पल दिखा दीजिए ।।

    कवि बृजमोहन श्रीवास्तव “साथी”डबरा

  • नव दीप / जानसी पटेल

    नव दीप / जानसी पटेल

    यहाँ पर “नव दीप जले हर मन में” शीर्षक से जानसी पटेल की एक कविता प्रस्तुत की जा रही है:

    नव दीप

    नव दीप / जानसी पटेल

    रचयिता: जानसी पटेल

    नव दीप जले हर मन में,
    नव ज्योति बहे हर जीवन में।

    अंधकार हटे हर कोने से,
    प्रकाश फैले इस सृष्टि में।

    सपने संजोए आँखों में,
    संकल्प हो सजीव मन में।

    स्नेह और विश्वास की रीत,
    हर दिल में हो प्रेम संगीत।

    नफरत का हो अंत यहाँ,
    मित्रता की हो नई दास्तान।

    धर्म, जाति, भेदभाव मिटें,
    मानवता का दीप सदा जलें।

    शांति का हो हर तरफ संदेश,
    भाईचारा हो जग में विशेष।

    नव दीप जले हर मन में,
    नव ज्योति बहे हर जीवन में।

    आओ मिलकर संकल्प करें,
    समाज में नई रोशनी भरें।

    अंधेरे से हम लड़ें सभी,
    प्रकाश का दीप जलाएँ तभी।

    नव दीप जले हर मन में,
    नव ज्योति बहे हर जीवन में।


    इस कविता में जानसी पटेल ने आशा, प्रेम, और भाईचारे का संदेश दिया है। हर व्यक्ति के मन में नई उम्मीदों और सकारात्मकता के दीप जलाने का आह्वान किया है, जिससे समाज में शांति, प्रेम, और सद्भावना का वातावरण बने।

  • नव दीप जले हर मन में/ भुवन बिष्ट

    नव दीप जले हर मन में/ भुवन बिष्ट

    इस कविता में भुवन बिष्ट ने आशा, प्रेम, और भाईचारे का संदेश दिया है। हर व्यक्ति के मन में नई उम्मीदों और सकारात्मकता के दीप जलाने का आह्वान किया है, जिससे समाज में शांति, प्रेम, और सद्भावना का वातावरण बने।

    नव दीप जले हर मन में/ भुवन बिष्ट

    नव दीप जले हर मन में/ भुवन बिष्ट

    नव दीप जले हर मन में,
              अब तो भोर हुई हुआ उजियारा।
    लगे विहग धरा में चहकने,
              रवि किरणों से जग सजे सारा।।
    बहे पावन सरिता का जल,
              हिमशिखरों पर लालिमा छायी।
    बनकर ओस की बूँदें छोटी, 
               जल मोती यह मन को भायी ।।
    कुमुदनियाँ अब खिलने लगी,
                 धरा में महक रहे पुष्प सारे।
    भानू की अब चमक देखकर,
                 छिप गये आसमां में अब तारे।।
    सजाया जग निर्माता ने,
                 नभ जल थल सुंदर प्यारा ।
    नव दीप जले हर मन में,
              अब तो भोर हुई हुआ उजियारा।
                           ……भुवन बिष्ट
                      रानीखेत(उत्तराखंड)