मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले / कबीरदास

मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले / कबीरदास मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले हीरा पायो गाँठ गठियायो बार-बार बा को क्यूँ खोले हल्की थी तब चढ़ी तराजू पूरी भई तब क्यूँ तओले सूरत-कलारी भई मतवारी मदवा पी गई बिन…
मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले / कबीरदास मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले हीरा पायो गाँठ गठियायो बार-बार बा को क्यूँ खोले हल्की थी तब चढ़ी तराजू पूरी भई तब क्यूँ तओले सूरत-कलारी भई मतवारी मदवा पी गई बिन…
मैं जीने लगी वक्त का सरकनाऔर उनके पीछेमेरा दौड़ना ये खेल निरन्तर चल रहा हैकहाँ थे औरकहाँ आ गये। कलेन्डर बदलता रहा पर मैं यथावतजीने की कोशिशभागंमभाग जिन्दगी कितना समेटूमैं जीवन रुपी जिल्दसंवारती रही, औरपन्ने बिखरते गये। एक कहावत सुनीऔर…
आंसू पर कविता दर्द जब पिघलता है तो बह आते हैं आँसूसुख में हों या हो दुख में रह जाते हैं आँसू विकट वेदना पीर बहेआघातों के तीर सहेकंपित अधरें मौन रहेगूंगी वाणी व्यथा कहे सूनी सूनी पलकों पर हिमकण…
रामप्रसाद बिस्मिल एक क्रान्तिकारी थे जिन्होंने मैनपुरी और काकोरी जैसे कांड में शामिल होकर ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध बिगुल फूंका था। वह एक स्वतंत्रता संग्रामी होने के साथ-साथ एक कवि भी थे और राम, अज्ञात व बिस्मिल के तख़ल्लुस से…
यहाँ राष्ट्रीय सादगी दिवस के अवसर पर एक कविता प्रस्तुत की जा रही है: सादगी का रंग सादगी का रंग हो प्यारा,सीधा-सादा जीवन हमारा। चमक-दमक को भूल चलें हम,सादगी में ही सुख पाएं हम। कम में खुश रहना सिखाएं,सादगी का…