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पर्यावरण दूषित हुआ जाग रे मनुज जाग/सुधा शर्मा
पर्यावरण दूषित हुआ जाग रे मनुज जाग/सुधा शर्मा धानी चुनरी जो पहन,करे हरित श्रृंगार।आज रूप कुरूप हुआ,धरा हुई बेजार।सूना सूना वन हुआ,विटप भये सब ठूंठ।आन पड़ा संकट विकट,प्रकृति गई है…