प्रकृति से प्रेम पर कविता

प्रकृति से प्रेम – रीता प्रधान प्रकृति की सुंदरता पर आधारित रचना

प्रकृति से खिलवाड़ का फल – महदीप जंघेल

hasdev jangal

प्रकृति से खिलवाड़ और अनावश्यक विनाश करने का गंभीर परिणाम हमे भुगतना पड़ेगा। जिसके जिम्मेदार हम स्वयं होंगे।
समय रहते संभल जाएं। प्रकृति बिना मांगे हमे सब कुछ देती है।उनका आदर और सम्मान करें। संरक्षण करें।

प्रकृति से खिलवाड़/बिगड़ता संतुलन-अशोक शर्मा

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भौतिकता की होड़ में मानव ने प्रकृति के साथ बहुत छेड़छाड़ की है। अपने विकास की मद में खोया मानव पर्यावरण संतुलन को भूल गया है। इस प्रकार के कृत्यों से ही आज कोरोना जैसी महामारी से मानव जीवन के अस्तित्व खतरे में दिख रहा है।