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अटल बिहारी वाजपेई के लिए कविता

अटल बिहारी वाजपेई के लिए कविता

हरिगीतिका छंद
. (मापनी मुक्त १६,१२)
. अटल – सपूत

श्री अटल भारत भू मनुज,ही
शान सत अरमान है।
जन जन हृदय सम्राट बन कवि,
ध्रुव बने असमान है।
नहीं भूल इनको पाएगा,
देश का अभिमान है।
नव जन्म भारत वतन धारण,
या हुआ अवसान है।
.
हर भारत का भरत नयन भर,
अटल की कविता गात है।
हार न मानूं रार न ठानू ,
दइ अटल सौगात है।
भू भारत का अटल लाड़ला,
आज क्यो बहकात है।
अमर हुआ तू मरा नहीं है,
हमको भी विज्ञात है।
.
भारती प्रिय पूत तुम सपूत को ,
मात अटल पुकारती।
जन गण मन की आवाज सहज,
अटल ध्वनि पहचानती।
राजनीति के दल दलदल में,
अटल सत्य सु मानती।
गगन ध्रुव या धरा ध्रुव समान
सुपुत्र है स्वीकारती।
.
सपूत तू धरा रहा पुत्र सम,
करि नहीं अवमानना।
अब देवों की लोकसभालय,
प्रण सपूती पालना।
अटल गगन मे इन्द्रधनुष रंग,
सत रंग पहचानना।
अमर सपूत कहलाये अवनि ,
मेरी यही कामना।
. _______
बाबू लाल शर्मा ‘बौहरा’

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