जिंदगी पर हरिगितिका छंद

छत्तीसगाढ़ी रचना

Submit : 16 Sep 2022, 10:56 AMEmail : [email protected] ये जिंदगी फोकट गवाँ झन , बिरथा नहीं जान दे ।आँखी अभी मा खोल तयँ हा, आघू डहर ध्यान दे ।तन फूलका पानी सही हे , बनय हाड़ा माँस के ।अनमोल जिंदगी कर लेवव, भरोसा नइ साँस के ।। दूजराम साहू अनन्य🙏🙏🙏

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अटल बिहारी वाजपेई के लिए कविता

अटल बिहारी वाजपेई

अटल बिहारी वाजपेई के लिए कविता हरिगीतिका छंद. (मापनी मुक्त १६,१२). अटल – सपूत श्री अटल भारत भू मनुज,हीशान सत अरमान है।जन जन हृदय सम्राट बन कवि,ध्रुव बने असमान है।नहीं भूल इनको पाएगा,देश का अभिमान है।नव जन्म भारत वतन धारण,या हुआ अवसान है।.हर भारत का भरत नयन भर,अटल की कविता गात है।हार न मानूं रार … Read more

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हे शारदा तुलजा भवानी (सरस्वती-वंदना)

सरस्वती

हे शारदा तुलजा भवानी (सरस्वती-वंदना) हे शारदा तुलजा भवानी, ज्ञान कारक कीजिये।…अज्ञानता के तम हरो माँ, भान दिनकर दीजिये।… है प्रार्थना नवदीप लेकर, चल पड़े जिस राह में।सम्मान पग चूमें पथिक के, हर खुशी हो बाँह में।।उत्तुंग पथ में डाल डेरा, नभ क्षितिज की चाह में।मन कामना मोती चमकते, चल चुनें हम थाह में। जो … Read more

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