मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे

मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।   कटेंगे वृक्ष , जंगल में तो, कैसे होगा विश्व में मंगल, बढ़ती जनसंख्या से हो रहा, जब संसार में मानव – दंगल। पर्यावरण समस्या को सुलझाऐंगे, मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे। मधुमक्खियों का शहद और चिड़ियों की आवाज, कंद – मूल फल में छिपाहै स्वस्थ सेहत का राज। … Read more

थाम लो सँभालकर देश की मशाल को

थाम लो सँभालकर देश की मशाल को हिन्द के बहादुरो शूरवीर बालको!थाम लो सँभाल कर देश की मशाल को! अन्धकार का गरूर आन-बान तोड़ दो,बालको, भविष्य के लिए मिसाल छोड़ दो,दो नयी-नयी दिशा वर्तमान काल को।थाम लो सँभाल कर देश की मशाल को! देश माँगता कि खून से रंगा गुलाब दो,तुम उठो सिपाहियो ! शत्रु … Read more

नदी का रास्ता

नदी का रास्ता नदी को रास्ता किसने दिखाया?सिखाया था उसे किसनेकि अपनी भावना के वेग कोउन्मुक्त बहने दे?कि वह अपने लिएखुद खोज लेगीसिन्धु की गंभीरतास्वच्छंद बहकरइसे हम पूछते आए युगों से,और सुनते भी युगों से आ रहे उत्तर नदी कामुझे कोई कभी आया नहीं था राह दिखलाने;बनाया मार्ग मैंने आप ही अपना। ढकेला था शिलाओं … Read more

कूट अकबर के|तेजल छंद (वाचिक) – बाबूलाल शर्मा

कूट अकबर के|तेजल छंद (वाचिक) – बाबूलाल शर्मा वर्णिक- तगण मगण, यगण यगण तगण गुरुमापनी- २२१ २२२, १२२ १२२ २२१ २ . 🌛 *…कूट अकबर के* 🌜 . *१*माने नहीं राणा, हठीला थकित हो टोडर गया।हे शाह माना वह, नहीं वह हठी है राणा नया।अकबर हुआ कुंठित, विकारी निराशा मन में बहे।मेरा महा शासन, उदयपुर … Read more