बेख़याल – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस रचना में एक “विक्षिप्त व्यक्ति” को चरित्र के रूप में पेश किया गया है जिन्हें हम पागल कह मरने के लिए छोड़ देते हैं | उसके पागल होने की वजह शायद हम जानना नहीं चाहते |
बेख़याल – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”