जंगल की आग – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस रचना के माध्यम से कवि जंगल में आग से होने वाली जन हानि , पर्यावरण एवं पशु हानि की ओर संकेत दे रहा है |
जंगल की आग - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह
इस रचना के माध्यम से कवि जंगल में आग से होने वाली जन हानि , पर्यावरण एवं पशु हानि की ओर संकेत दे रहा है |
जंगल की आग - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
इस रचना में खुदा की इबादत की गयी है |
लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा - वंदना - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

इस रचना में भगवान् श्री राम की स्तुति की गयी है |
राम स्तुति - वंदना - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
इस रचना में चंद्रदेव भगवान् की स्तुति की गयी है |
सोम स्तुति ( चन्द्र स्तुति ) - वंदना - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
परशुराम की प्रतीक्षा -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ छोड़ो मत अपनी आन, शीश कट जाए,मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए। दो बार नहीं यमराज कण्ठ हरता है,मरता है जो, एक ही बार मरता है। तुम स्वयं मरण के मुख पर…