बंधन पर कविता
बंधन पर कविता बंधन बांधो ईश से, और सभी बेकार।केवल ब्रह्म सत्य है,पूरा जगत असार।। बंधन केवल प्यार का,होता बड़ा अनूप।स्वार्थ भावना से रहित,होता इसका रूप।। कर्मों का बंधन हमे,बांधे इस संसार।कर्म करें निष्काम तो,होते भव से पार।। मर्यादा में…