Author: कविता बहार

  • बहरूपिया पर कविता

    बहरूपिया पर कविता

    बहरूपिया पर कविता

    ये क्या ! अचानक इतने सारे
    अब गाँव- गाँव पधारे ,
    लगता है सफेद पंखधारी
    हंस है सारे !
    सावधान रहना रे प्यारे !
    भेष बदलने वाले है सारे !!

    पहले पता नहीं था
    इसमें क्या – क्या गुण है,
    ये हमारे शुभ चिंतक है
    या अब मजबूर है !
    बड़े सहज लग रहे हैं
    अब सारे के सारे !
    सावधान रहना रे प्यारे !
    भेष बदलने वाले है सारे !!

    इनके योग्यता पत्र देखों
    जुझारू संघर्षशील,
    कुशल कर्मठ संवेदनशील
    स्वच्छ छवि मिलनसार
    सुख -दुःख के साथी
    सहज मिलनसार !
    ये पांच वर्षों में ही
    दिखते है एक बार सारे !
    सावधान रहना रे प्यारे !
    भेष बदलने वाले है सारे !!

    अब थोक के भाव में
    प्रगटे है गाँव में
    बैठे है पीपल छांव में
    मांथा टेके हर पांव में
    सावधान रहना रे प्यारे
    ईद का चांद है सारे !
    भेष बदलने वाले है सारे !!

    दूजराम साहू
    निवास भरदाकला
    तहसील खैरागढ़
    जिला राजनांदगाँव( छ ग)

  • हंसवाहिनी माँ पर कविता

    हंसवाहिनी माँ पर कविता

    माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami
    माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami

    हंसवाहिनी मात शारदे
    हमको राह दिखा देना।
    वीणापाणि पद्मासना माँ
    तम अज्ञान हटा देना।।
    ???
    विद्यादायिनी तारिणी माँ
    करु प्रार्थना मैं तेरी।
    पुस्तकधारिणी माँ भारती
    हरो अज्ञानता मेरी।।
    ???
    हम सब अज्ञानी है माता
    हम पर तुम उपकार करो।
    तुम दुर्बुद्धि दुर्गुण मिटाकर
    शुचि ज्ञान का दान करो।।
    ???
    हे धवलवस्त्रधारिणी मात
    हम भक्ति करें तुम्हारी।
    दिव्यालंकारों से भूषित
    क्षमा करो भूल हमारी।।
    ???
    शिवा अम्बा वागीश्वरी माँ
    हम सब मानव अज्ञानी।
    रूपसौभाग्यदायिनी अम्ब
    बुद्धिदान करो भवानी।।
    ???
    अन्धकारनाशिनी माते
    अंधकार को दूर करो।
    ज्ञानदायिनी बुद्धिप्रदा माँ
    दोष हमारे दूर करो।।
    ???
    वीणावादिनी सुरपूजिता
    कोकिल कंठ प्रदान करो।
    छेड़ दो तुम वीणा की तान
    एक मधुर झंकार करो।।

    ????????

    ©डॉ एन के सेठी

  • रोटी पर कविता

    रोटी पर कविता

    सांसरिक सत्य तो
    यह है कि
    रोटी होती है
    अनाज की
    लेकिन भारत में रोटी
    नहीं होती अनाज की
    यहाँ होती है
    अगड़ों की रोटी
    पिछड़ों की रोटी
    अछूतों की रोटी
    फलां की रोटी
    फलां की रोटी
    और हां
    यहाँ पर
    नहीं खाई जाती
    एक-दूसरे की रोटी

    -विनोद सिल्ला

  • नमक पर व्यंग्य

    नमक पर व्यंग्य

    होटल में खाने के मेज पर छोटे छोटे छिद्रों वाले डिब्बे पड़े ही रहते हैं।कार्टून बने डिब्बे में नमक मिर्च भरे होते हैं, दाल सब्जी में नमक कम हो तो मन मर्जी डाल लो।लेकिन सब्जी में नमक ज्यादा होने पर सारा जायका बिगड़ जाता है।नमक को सब्जी का जान कह सकते हैं,पानी रंगहीन होता है लेकिन बहुत कम लोगो को पता रहता है कि शुद्ध नमक भी रंगहीन होता है।

    विज्ञान का विद्यार्थी साधारण नमक का सूत्र नहीं जानता है तो समझ लो विज्ञान में कमजोर है।समुद्र का पानी नमकीन होता है,पढ़े थे पर पढ़ा हुआ ज्ञान हमेसा याद कहाँ रहता है।एक बार दोस्तों के साथ समुद्र में नहाने चले गए मगर साबुन से झाग निकला ही नहीं,और शरीर को धोने के लिए पानी बोतल का सहारा लेना पड़ा।हमने एक बंदे से पूछ लिया नमक कैसे बनता है? बंदा था बड़ा विद्वान बताया झील,समुद्र के पानी से,नमक का खदान खैबर पाकिस्तान और भारत में राजस्थान के साँभर में पाया जाता है।

    नमकीन पानी से नहाए क्या,नमक के स्रोत की जानकारी मिल गई।समुद्री मछलियों को पकाते वक्त नमक डालना नहीं पड़ता अहा क्या स्वाद।वैसे दैनिक खुराक में नमक दो से तीन ग्राम ही खाना चाहिए मगर पिता श्री तो खाने को बैठते हैं तो नमक का डिब्बा साथ लेकर बैठते हैं।एक दिन हमने कहा-‘बाबूजी नमक ब्लडप्रेसर बढाता है।हमारी बात सुन कर गुस्साकर बोले-‘डॉक्टर तो कुछ भी कह देते हैं बताओ बिना नमक के खाना पचेगा कैसे?वैसे भी नमक कम होने से अल्जाइमर नामक रोग होता है।याददाश्त कमजोर हो जाती है।

    हमने कहा कुछ भी तर्क देकर नमक से प्रेम मत बढाओ वरना पछताना पड़ेगा।आपको पता नहीं पर विज्ञान के किताबो में सफेद रंग वालो से बचने को कहा गया है जिसमे मैदा और नमक है।पिताजी नमक मिलाकर खाने लगे,नमक का विरोध तो सब करते हैं पर काले नमक को खाने की सलाह भी देते हैं।मुमफली खरीदने वाले तो नमक की पुड़िया साथ माँगना नहीं भूलते।घर का बजट हो तो नमक उसमे अवश्य रहता है और भूल गए तो सब्जी पकाते वक्त नमक मांगे कैसे नमक माँगना अशुभ बताया जाता है और माँग ले तो हथेली में नमक लेना भी अशुभ माना जाता है फेकना तो चाहिए ही नहीं।होली में बदमाश लोग जिस सामान को पाते हैं,होली के साथ जला देते हैं होली जलने से पहले दूकान वाले सामान को अंदर सुरक्षित रख लेते हैं पर हमने देखा लाला सेठ के दूकान के बाहर नमक की बोरी पड़ी थी।

    हमने फोन कर कहा चाचा आपके दूकान के बाहर नमक की बोरी पड़ी है।चाचा कहने लगे भतीजे नमक की चोरी नहीं होती और हँसने लगे।मगर मोहल्ले के लड़कों ने उनके नमक की बोरी होली में डाल दिए।खड़ा नमक फटाके जैसे फूटने लगा धड़ाम।लोग चोरी तो सबकी करते हाँ पर नमक की नहीं करते इस चक्कर में लाला जी पड़े रहे। सुबक नमक की बोरी गायब होने पर रोने लगे।महँगाई के जमाने में नमक का जलाना तो हृदय को जलाएगा ही।लाला जी को हमने कहा चाचा जी हटाओ नमक की बात कुछ और सुनाओ लाला ने कहा जख्म पर नमक मत लगाओ,हम सुनते ही वहाँ से निकल लिए।नमक बहुत उपयोगी होता है मछली धोने के लिए,अर्थिंग के गड्ढे में डालने के लिए ओआरएस के घोल में दवा के रूप में बहुत ही काम आता है।

    सब्जी के साथ जानवरो के भोजन में नमक उपयोगी होता है।मुंशी प्रेमचंद की लघु कथा नमक का दरोगा बहुत प्रसिद्ध है।नमक कानून तोड़ने के लिए गाँधी जी को आंदोलन करना पड़ा था जो इतिहास में नमक सत्याग्रह के नाम से प्रसिद्ध है।1996 में नमक पर फ़िल्म बनी,लेकिन नमक हलाल ने फ़िल्म इंडस्ट्री में धूम मचा दिया।गाली तो हर मुँह में होता है जरा सा गुस्सा हो लोग गाली देने लगते हैं धोखेबाज के लिए प्रसिद्ध गाली है ‘नमक हराम’ नमक हराम फ़िल्म से बच्चन साहब सुपरस्टार बन गए।नमक से किचन की गंदगी साफ कर सकते हैं,दाँत चमका सकते हैं,हाँथो की गंदगी साफ कर सकते हैं,फलो को सुरक्षित रख सकते हैं।आजकल बाजार में शुद्ध आयोडीन कहकर नमक बेचा जा रहा है,नमक की माँग इतनी बढ़ गई है कि सैकड़ो कम्पनिया नमक बेच रही है असली नकली में समझ ही नहीं आ पाता वैसे घेंघा रोग नमक के कमी से ही होता है।

    गाँव के पंचू बुजुर्ग को मृत्यु शैया पर लिटा कर श्मशान ले जाया गया,लकड़ी की महंगाई को देखकर जेसीबी मंगवाकर दफनाया जा रहा था।किसी बुजुर्ग ने कहा-नमक डालो पर नमक लाए नहीं थे गिरते पानी में दूकान से नमक लाया गया,नमक डाल कर दफनाया गया,किसी ने कहा-नमक से शरीर गल जाता है,नमक का सेवन जीवन भर और मृत्यु होने पर भी काम आता है।पर जले जले पर नमक छिड़कना अच्छी बात नहीं।

    राजकिशोर धिरही
    तिलई,जांजगीर छत्तीसगढ़

  • निषादराज के दोहे

    निषादराज के दोहे

    (1) पाषाण
    मत बनना पाषाण तू,मन में रखना धीर।
    दया धर्म औ प्यार से,बोलो ज्यों हो खीर।।

    (2) क्षितिज
    दूर क्षितिज पर आसमां,नीला रंग निखार।
    जैसे श्यामल गात हो,सुन्दर कृष्ण मुरार।।

    (3) वत्सल
    माँ का वत्सल है बड़ा,ममता का भण्डार।
    सारे जग में हैं नहीं,इनके जैसा प्यार।।

    (4) शुभ्र
    शुभ्र ज्योत्सना चाँदनी,धवल निखार प्रकाश।
    रजनी में प्यारा लगे,शीतलता आभास।।

    (5) समीर
    शीतल मंद समीर जो,बहती है दिन रात।
    मन को आनंदित करे,जैसे हो बरसात।।

    (6) सेतु
    राम-सेतु लंका बने,जाने सागर पार।
    परमवीर हनुमान जी,बाँधे पारावार।।

    (7) संगीत
    मन गदगद संगीत से, होता मेरे यार।
    दुःख-दर्द सब दूर भी,छोड़ चले संसार।।

    (8) वारिधि
    वारिधि से मिलने चली,नदिया दिन अरु रात।
    पिया मिलन की आस में,जैसे करने बात।।

    (9) लोचन
    लोचन मन में हैं बसे,राम – लखन हैं भ्रात।
    नमन करूँ वन्दन करूँ,नित उठकर के प्रात।।

    (10) अर्पण
    तन अपना अर्पण करूँ,ईश विनय के साथ।
    रखना दीनदयाल अब,मेरे सर पर हाथ।।

    छंदकार:-
    बोधन राम निषादराज”विनायक”
    सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
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