बहरूपिया पर कविता
बहरूपिया पर कविता ये क्या ! अचानक इतने सारेअब गाँव- गाँव पधारे ,लगता है सफेद पंखधारीहंस है सारे !सावधान रहना रे प्यारे !भेष बदलने वाले है सारे !! पहले पता नहीं थाइसमें क्या – क्या गुण है,ये हमारे शुभ चिंतक…
बहरूपिया पर कविता ये क्या ! अचानक इतने सारेअब गाँव- गाँव पधारे ,लगता है सफेद पंखधारीहंस है सारे !सावधान रहना रे प्यारे !भेष बदलने वाले है सारे !! पहले पता नहीं थाइसमें क्या – क्या गुण है,ये हमारे शुभ चिंतक…
हंसवाहिनी माँ पर कविता हंसवाहिनी मात शारदेहमको राह दिखा देना।वीणापाणि पद्मासना माँतम अज्ञान हटा देना।।???विद्यादायिनी तारिणी माँकरु प्रार्थना मैं तेरी।पुस्तकधारिणी माँ भारतीहरो अज्ञानता मेरी।।???हम सब अज्ञानी है माताहम पर तुम उपकार करो।तुम दुर्बुद्धि दुर्गुण मिटाकरशुचि ज्ञान का दान करो।।???हे धवलवस्त्रधारिणी…
रोटी पर कविता सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ परनहीं खाई जातीएक-दूसरे की रोटी -विनोद सिल्ला Post Views: 34
नमक पर व्यंग्य होटल में खाने के मेज पर छोटे छोटे छिद्रों वाले डिब्बे पड़े ही रहते हैं।कार्टून बने डिब्बे में नमक मिर्च भरे होते हैं, दाल सब्जी में नमक कम हो तो मन मर्जी डाल लो।लेकिन सब्जी में नमक…
निषादराज के दोहे (1) पाषाणमत बनना पाषाण तू,मन में रखना धीर।दया धर्म औ प्यार से,बोलो ज्यों हो खीर।। (2) क्षितिजदूर क्षितिज पर आसमां,नीला रंग निखार।जैसे श्यामल गात हो,सुन्दर कृष्ण मुरार।। (3) वत्सलमाँ का वत्सल है बड़ा,ममता का भण्डार।सारे जग में…