Author: कविता बहार

  • नारी पर आधारित कविता

    नारी पर आधारित कविता

    Naari
    नारी चेतना

    नारी जगत का सार
         नारी सृष्टि काआधार
             जननी वो कहलाती 
                 मान उसे दीजिये।।
                 ???
    नारी ईश्वर का रूप
         उसकी शक्ति अनूप
             देती है सबको प्यार
                  उसे खुश कीजिये।।
                   ???
    नारी हृदय विशाल
         रखती है खुशहाल
              ममता का आगार है
                  दुख मत दीजिए।।
                  ???
    सृष्टा की अद्भुत सृष्टि
        करती वात्सल्य वृष्टि
            नारी के रूप अनेक
                 हर रूप पूजिये।।
                 ???
    नारी में है मानवता
        त्याग और पावनता
             शक्ति का स्वरूप नारी
                   विश्वास भी कीजिये।।
                  ???
    नारी है ईश वंदन
       नारी माथे का चंदन
            नारी नही है अबला
                  सहयोग कीजिये।।
                   ???
    नारी है जग की आशा
        शब्द नही पूरी भाषा
            रंगों की है फुलवारी
                  देवी सम पूजिये।।
                  ???
    माँ बहन बेटी नारी
       पत्नी है पति की प्यारी
            नारी से बड़ा न कोई
                 वंदन भी कीजिये।।

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             ©डॉ एन के सेठी
                  बाँदीकुई(दौसा)
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  • ताजमहल पर कविता -शशिकला कठोलिया

    ताजमहल पर कविता

    मौत भी मिटा नहीं सकी ,
    मन में रहे यादें हर पल ,
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    फैली है इसकी खूबसूरती ,
    देख सकते जहां तक ,
    सात आश्चर्य में से एक ,
    सुंदरता इसकी है आकर्षक,                           
    विस्तृत क्षेत्र में फैला ,
    भारत की सांस्कृतिक स्मारक,                          
    यादों को संजोए रखने ,
    शाहजहां की बनी सहायक,                         
    महारानी को याद रखने ,
    निकाला उसने सुंदर हल ,
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    चारो कोनों पर स्थित ,
    आकर्षक चार मीनारें, 
    वृहद है उसका क्षेत्र ,
    यमुना नदी के किनारे ,
    वहां की फिजाओं में ,
    गुंजित प्रेम की पुकारे ,
    प्रेम रस से पुण्य मिलता ,
    वहां की वादियां बहारें ,
    मुमताज को निहारने ,
    उसने की अद्भुत पहल ,
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    सबसे सुंदर है इमारत ,
    बनी सफेद संगमरमर ,
    सपनों का स्वर्ग सा लगता ,
    सौंदर्य पर सब न्योछावर, 
    बयाँ करती प्रेम कहानी ,
    चलती बयार वहां सर-सर, 
    कलात्मक आकर्षण का केंद्र, 
    लाखों कुर्बान सौंदर्य पर ,
    प्रेम में लुटा दिया जिसने ,
    अपना तन मन धन बल, 
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    गुंबद के नीचे कक्ष में ,
    कब्र बना राजा रानी ,
    शाहजहां और मुमताज ,
    रिश्ता था अति रूहानी ,
    राजा के प्रेम का प्रतीक ,
    दो दिलों की प्रेम कहानी ,
    संपूर्ण विश्व का यह ताज ,
    सुन लो सब के जुबानी ,
    भुला के ना भुलाया ,
    यादें सताई जिसकी पल-पल,                          
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल।

     ताजमहल मुमताज के लिए,                          
    शाहजहां के प्रेम का प्रतीक, 
    दर्शाती प्रेम गाथा को ,
    प्रेम था उसका आंतरिक ,
    दीवारों पर कांच के टुकड़े ,
    जगह है अति ऐतिहासिक,                     
    मुगलकालीन स्थापत्य कला, 
    भारतीय मुस्लिम इस्लामिक ,
    रहती है हमेशा वहां ,
    विदेशियों का चहल-पहल ,
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    रात की चांदनी में ,
    लगता बहुत सुंदर मनोरम,                          
    आकर्षक लान सजावटी पेड़, 
    देख मिट जाता सारा गम ,
    बाहर ऊंचा दरवाजा ,
    कारीगरों का कठिन परिश्रम ,
    राजा रानी की प्रणय गाथा ,
    सुन आंखे हो जाती  नम ,
    प्रेम की यादगार बनी ,
    अतीत के वो कल ,
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    श्रीमती शशिकला कठोलिया, अमलीडीह, डोंगरगांव, जिला- राजनांदगांव( छत्तीसगढ़ )

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  • माधुरी मंजरी- हिंदी काव्य

    सेवा पर कविता

    सेवा वंचित मत रहो,
    तन मन दीजे झोक
    सेवा मे सुख पाइए,
    नहीं लगाओ रोक ।।1।।

    जो सेवा संपन्न है ,
    देव अंश तू जान ।
    इनके दर्शन मात्र से ,
    मिलते कई निदान ।।2।।

    सेवा का व्यापार कर ,
    बनते आज अमीर ।
    पीड़ित जन सब मूक हैं
    साहब तुम बेपीर ।।3।।

    सेवा कुर्बानी चहै
    करे अहं का नाश ।
    सो अपनाये धर्म को ,
    अंतर हृदय प्रकाश ।।4।।

    जहाँ कभी भी जो मिले ,
    सेवा का रख भाव ।
    छोटे ऊँचे नीच लघु ,
    कीजे नहीं दुराव ।।5।।

    चरित्र पर कविता

    मैं मेरा का ज्ञान दे ,
    मन की गाँठें खोल ।
    राम चरित्र सुनाइए ,
    जो अनुपम अनमोल ।।1।।

    रामचरितमानस रचे ,
    कवि कुल तुलसीदास ।
    दोहा चौपाई सदन ,
    करते राम निवास ।।2।।

    सदाचार अपनाइए ,
    चलिए जीवन राह ।
    एक यही शुभ साधना ,
    छोड़ और परवाह ।।3।।

    वही अमर है जगत में ,
    जिनके शील चरितव्य ।
    उदाहरण अपनाइए ,
    अन्य छोड़िये द्रव्य ।।4।।

    धर्म ग्रंथ सुनिए सदा ,
    करें उसे चरितार्थ ।
    जीवन रस मिलते सदा ,
    करने को पुरुषार्थ ।।5।।

    धनतेरस पर कविता

    शल्य शास्त्र के जनक हैं,
       धन्वंतरि भगवान ।
           वेद शास्त्र महिमा सदा ,
               नेति नेति कर गान ।। 1।।

    महा वैद्य इस विश्व के ,
       सर्व गुणों की खान ।
           इनके सुमरन मात्र से ,
                मिले निरामय भान ।।2।।

     स्रष्ट्रा आयुर्वेद के ,
         अद्भुत भेषज ज्ञान ।
               जड़ी दवाई बूटियाँ ,
                    रचे प्रभु विज्ञान ।।3।।

    धनतेरस पर कीजिए ,
        पूजा की शुरुआत ।
             लक्ष्मी माँ हर्षित रहे ,
                धन्वंतरि ऋषि तात ।।4।।

    दीवाली के पर्व में ,
         धन्वंतरि श्रीमंत ।
             सबको दें आरोग्यता ,
                  करें रोग का अंत ।।5।।

    नटवर

     मधुर मिलन की चाह में ,
        गुजरी उम्र तमाम ।
             इत नटवर उत राधिका ,
                   तडपत  आठों  याम ।। 1।।

    प्रेम त्याग का नाम है ,
          सर्व समर्पण मौन ।
               नटवर श्याम वियोगिनी ,
                   जग में  हैं अब कौन ।।2।।

    मनमंदिर मूरत बसी ,
        नटवर नंद किशोर ।
             मुदित माधुरी मंजरी ,
                  नित्य नमन कर जोर ।। 3।।

    मानस रोग

    तन के रोगी का सफल ,
        करते सभी इलाज ।
             मन के मानस रोग को,
                   पहचानो तुम आज ।। 1।।

    षट्विकार से बद्ध तन ,
         रहते हर पल साथ ।
              प्रेरित करते बन प्रबल,
                     इंद्रिय गहते हाथ ।।2।।

    काम क्रोध मद लोभ वश ,
       मोह जनित व्यवहार ।
           मुदित माधुरी मंजरी ,
                सद्गुरु चल दरबार ।। 3।।

    उद्योग पर कविता

    उन्नत पुरुष निहारिए ,
        चलिए उनकी राह ।
             आस-पास को छोड़कर ,
                   करिए दूर निगाह ।। 1।।

    करिए दूर निगाह तो ,
          कई मिलेंगे लोग ।
               जिनके नित संपर्क से ,
                      होते हैं उद्योग ।।2।।

    होते हैं उद्योग में ,
       सफल विफल परिणाम ।
            चित्त लगन एकाग्रता ,
               हासिल करो मुकाम ।।3।।

    हासिल करो मुकाम जब ,
       मत करना अभिमान ।
           धन्यवाद का भाव हो ,
               बस इतना रख ध्यान ।।4।।

    बस इतना रख ध्यान तू ,
        बने रहो इंसान ।
             मुदित माधुरी मंजरी ,
                 मत बनना भगवान ।।5।।

    माधुरी डड़सेना ” मुदिता “

  • किसे कहूं दर्द मेरा

    किसे कहूं दर्द मेरा

    किसे कहूं दर्द मेरा
    ओ मेरे साजन
    लगे सब कुछ सुना सुना सा
    तुम बिन छाई मायूसी
    काटने को दौड़ते हैं ये लम्हे
    हर पल, पल पल भी
    वीरान खण्डहर की तरह
    छाया काली जुल्फों सा अंधेरा 
    बिन तेरे ए हमसफ़र ।
    सताता हैं अकेलापन
    हर वक़्त क्षण क्षण भी
    क्यो जुदा हुए तुम 
    तोड़कर दिल मेरा
    क्यो बना विरह वियोग
    टूटा वो अनुराग प्यारा
    क्यो बढ़ गया फासला 
    वादा था जन्म जन्मों तक का
    मुझसे मेरा सुख चैन क्यो छीना
    ए मेरे हमनवाब ।
    किस खता की दी सज़ा
    कैसे बताये तुम्हें
    तुम बिन हम हैं अधूरे
    हर पल हर क्षण भी
    राह तकती हैं ये निगाहें
    लौट आओ…. लौट आओ
    फिर से मेरी जिंदगी में
    ए मेरे हमनसी ।।

    ✍ एल आर सेजु थोब ‘प्रिंस’
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  • पाप-कुण्डलियाँ

                    पाप-कुण्डलियाँ

    निर्जन पर्वत में अगर ,
                            करो छुपाकर पाप ।
    आज नहीं तो कल कभी ,
                          करें कलंकित आप ।।
    करें कलंकित आप ,
                        पाप की दूषित छाया ।
    उत्तरोत्तर विकास ,
                          बढ़े हैं इसकी माया ।।
    कह ननकी कवि तुच्छ ,
                            बुराई करता दुर्जन ।
    मिलता है परिणाम ,
                     अश्रु पथ बनता निर्जन ।।

                   ~  रामनाथ साहू ” ननकी “
                                मुरलीडीह
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद