कुंडलियाँ – बेटी पर कविता
बेटी पर कविता बेटी जा पिया के घर , गुड़िया नहीं रोना । सजा उस घरोंदे को, साफ सुथरा रखना।। साफ सुथरा रखना, पति सेवा तुम…
बेटी पर कविता बेटी जा पिया के घर , गुड़िया नहीं रोना । सजा उस घरोंदे को, साफ सुथरा रखना।। साफ सुथरा रखना, पति सेवा तुम…
मिलकर पुकारें आओ ! फिर मिलकर पुकारें आओगांधी, टालस्टाय और नेल्सन मंडेलाया भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद और सुभाष चन्द्र बोस कीदिवंगत आत्माओं कोताकि हमारी चीखें सुन उनकी आत्माएंहमारे बेज़ान जिस्म में समाकर जान फूंक देताकि गूंजे फिर कोई आवाजें जिस्म…
बेटी का दर्द पर कविता अब तो लगने लगा है मुझको,कोख में ही माँ मुझको कुचलो।बाहर का संसार है सुंदर,ऐसा लगता है कोख के अंदर।पर जब पढ़ती हो तुम खबरें,हत्या, बलात्कार, जेल और झगड़े।नन्हा सा ये तन मेरा,भर उठता है…
हम तो उनके बयानों में रहे हम जब तक रहे बंद मकानों में रहे।वे कहते हैं हम उनके ज़बानों में रहे।1। उनके लिए बस बाज़ार है ये दुनियाँगिनती हमारी उनके सामानों में रहे।2। मुफ़लिसी हमारी तो गई नहीं मगरहमारी अमीरी…
समय का चक्र चिता की लकड़ियाँ,ठहाके लगा रही थीं,शक्तिशाली मानव को निःशब्द जला रही थीं! रोकती रही मैं मगर सताता रहाताकत पर अपनी इतराता रहा! भूल जाता बचपन में तुझे खिलौना बन रिझाती रही,थक जाता जब रो-रो करपलना बनकर झुलाती…