कुंडलियाँ – बेटी पर कविता

  बेटी पर कविता

beti mahila
बेटी की व्यथा

बेटी जा पिया के घर ,

           गुड़िया नहीं रोना ।

सजा उस घरोंदे को,

           साफ सुथरा रखना।।

साफ सुथरा रखना, 

       पति सेवा तुम करना।

रखना इतनी चाह,

       झगड़ा कभी न करना ।।

कह डिजेन्द्र करजोरि,

         धन संग्रह रखना बेटी ।

रख ख्याल नाती का,

            खुश रहें मेरी बेटी।।

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डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”

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