छत्तीसगढ़ महतारी पर कविता
सुघ्घर हाबय हमर छत्तीसगढ़ महतारी-पुनीत राम सूर्यवंशी जी (chhattisgarh mahtari)
सुघ्घर हाबय हमर छत्तीसगढ़ महतारी-पुनीत राम सूर्यवंशी जी (chhattisgarh mahtari)
अनेकता में एकता कविता (1)हमे वतन से प्यार है ,भारत देश महान।अनेकता में एकता , इसकी है पहचान।।इसकी है पहचान , ये है रंग रंगीला।मिल जाते सबरंग…
मोर मया के माटी छत्तीसगढ़ के माटीअऊ ओकर धुर्रा। तीन करोड़ मनखेसब्बौ ओकर टुरी टुरा।। धान के बटकी कहाय,छत्तीसगढ़ महतारी। अड़बड़ भाग हमर संगीजन्में येकरेच दुआरी।। एकर तरपांव धोवय बरआइन पैरी अरपा। महानदी गंगा जईसनखेत म भरथे करपा।। मया के…
प्रेम का मर जाना डॉ सुशील शर्मा प्रेम का मरना ही आदमी का मरना हैजब प्रेम मरा था तोबलि प्रथा सती प्रथा उगी थींप्रेम के मरने पर हीधरती की सीमायें सिमट जातीं है।महाद्वीप ,देश ,प्रदेश ,भाषाओंजाति समुदाय ,मनुष्य ,जानवर का…
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता चलो नवा सुरुज परघाना हे छत्तीसगढ़ राज्य पायेहनचलो नवा सुरुज परघाना हे !भारत माता के टिकली सहिक….छत्तीसगढ़ ल चमकाना हे !! जेन सपना ले के राज बने हेसाकार हमला करना हे!दिन -दुगनी ,रात -चौगुनीआगे…