दिखा दे अपनी मानवता- शशिकला कठोलिया

दिखा दे अपनी मानवता लेकर कोई नहीं आया ,जीवन की अमरता ,क्षणभंगुर संसार में ,दिखा दे अपनी मानवता । देशकाल जाति पाति की ,दीवारों को तोड़कर ,छुआछूत ऊंच नीच की ,सबी विविधता को हर ,हर इंसान के मन से ,मिता दे विविधता, क्षणभंगुर संसार में ,दिखा दे अपने मानवता । हंसना है तो ऐसे हंसो,हंसे तुम्हारे … Read more

मैं हूं एक लेखनी-शशिकला कठोलिया

मैं हूं एक लेखनी मैं हूं एक लेखनी ,क्यों मुझे नहीं जानता ,निरादर किया जिसने ,जग में नहीं महानता।जिसने मुझे अपनाया ,हुआ वह बड़ा विद्वान ,जिसने किया आदर ,मिला यश और सम्मान ,मेरे ही द्वारा हुआ ,रचना महाभारत रामायण ,साहित्यो का हुआ विमोचन ,ज्ञान विज्ञान का लेखन ,देश में हुए वृहद कार्य, मेरे ही भरोसे बल … Read more

वर्षा ऋतु पर कविता -हरीश पटेल

वर्षा ऋतु पर कविता आज धरा भी तप्त हुई है।हृदय से शोले निकल पड़े हैं।।कण-कण अब करे पुकार ।आ जाओ वर्षा एक बार।। प्यास अब उमड़ चुकी है ।जिंदगी को बेतरतीब कर विक्षिप्त पड़ा है।।तुम पहली बूंद बन कर आ जाना ।तुम वर्षा हो आकर बरस जाना ।।निर्जीव सदृश यह काया है, रूह बनकर समा … Read more

मन करता है कुछ लिखने को-अमित कुमार दवे

मन करता है कुछ लिखने को जब भी सत्य के समीप होता हूँ, असत्य को व्याप्त देखता हूँ ,शब्द जिह्वा पर ही रुक जाते हैं, मन करता है…..कुछ लिखने को ।। वाणी से गरिमा गिरने लगती है, लज्जा पलकों से हटने लगती है ,विकारी दृष्टि लगने लगती है, तब..मन करता है…..कुछ लिखने को ।। अंधानुकरण को स्वतःअपनाती,नई पीढ़ी … Read more

चित चोर राम पर कविता / रश्मि

Jai Sri Ram kavitabahar

चित चोर राम पर कविता / रश्मि चित चोर कहो , न कुछ और कहो। मर्यादा पूरूषोत्तम है । हे सखी !सभी जो मन भायेवो मनभावन अवध किशोर कहो। चित चोर…….. है हाथ धनुष मुखचंद्र छटा, लेने आये सिय हाथ यहां। तारा अहिल्या  को जिसने हे सखि उन चरणों कोमुक्ति का अंतिम छोर कहो। चित चोर…… बाधें न बधें वो बंधन है। देखो वो … Read more