संयुक्त राष्ट्र पर कविता
आसमान छूने की है तमन्ना,
अंधाधुंध हो रहे अविष्कार!
चूक गए तो विनाशकारी
सफलता में जीवन उजियार! !
विज्ञान वरदान ही नहीं, अभिशाप भी है,
कहीं नेकी करता तो कहीं पाप भी है!
उन्नति में लग जाए तो
कर दे भव से पार !
चूक गए तो विनाशकारी
सफलता में जीवन उजियार ! !
निर्माण के इस पावन युग पर,
होड़ मची है निर्माण की!
दुश्मनों के छक्के छुड़ाने,
सुलगा दी बाजी जान की,
सुखोई, राफेल ताकतवर,
पावरफुल मिसाइल ब्रम्होस हथियार!
चूक गए तो विनाशकारी,
सफलता में जीवन उजियार!!
मंडराती ख़तरा हर पल जहाँ पर
कैसे ये बादल छट पायेंगे?
जल-ज़मीन-जंगल जीवन में
कहीं तो न विष-ओला बरसायेंगे!
दुष्प्रभाव कहीं भी कम नहीं है,
गले की हड्डी बन रही है
विध्वंसकारी औजार !
चूक गए तो विनाशकारी,
सफलता में जीवन उजियार!!
जल दूषित,थल दूषित,
दूषित होता आसमान!
हथियारों के घमंड में,
बैरी होता सारा जहान!!
संयुक्त राष्ट्र मिल चिंतन करे,
कम हो हथियारों का अविष्कार!
चूक गए तो विनाशकारी ,
सफलता में जीवन उजियार! !
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दूजराम साहू
निवास -भरदाकला
तहसील- खैरागढ़
जिला- राजनांदगांव (छ. ग. )
8085334535
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद