स्वरोजगार तुमको ढूंढना हैं/डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
“डीजेन्द्र कुर्रे की कविता ‘स्वरोजगार तुमको ढूंढना है’ में स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा दी गई है। यह कविता युवाओं को स्वरोजगार के महत्व को समझाते हुए उन्हें प्रेरित करती है कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए खुद को ढूंढें और अपने पैरों पर खड़े हों।” सारांश: “स्वरोजगार तुमको ढूंढना है” एक … Read more