स्वरोजगार तुमको ढूंढना हैं/डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

“डीजेन्द्र कुर्रे की कविता ‘स्वरोजगार तुमको ढूंढना है’ में स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा दी गई है। यह कविता युवाओं को स्वरोजगार के महत्व को समझाते हुए उन्हें प्रेरित करती है कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए खुद को ढूंढें और अपने पैरों पर खड़े हों।” सारांश: “स्वरोजगार तुमको ढूंढना है” एक … Read more

पिता होने की जिम्मेदारी – नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

पिता होने की जिम्मेदारी दो बच्चों का पिता हूँ मेरे बच्चे अक्सर रात मेंओढ़ाए हुए चादर फेंक देते हैओढ़ाता हूँ फिर-फिरवे फिर-फिर फेंकते जाते हैं उन्हें ओढ़ाए बिना… मानता ही नहीं मेरा मन वे होते है गहरी नींद मेंउनके लिए अक्सर टूट जाती हैंमेरी नींदें… एक दिन  गया था गाँव रात के शायद एक या दो … Read more

पितृ पक्ष का सच्चा श्राद्ध-धनंजय सिते(राही)

पितृ पक्ष का सच्चा श्राद्ध ‘ आजका बच्चा कलका यूवाऔर परसो बुढ़ा होना है!ये प्रकृती का नियम है सबकोएक दिन इससे गुजरना है!!                  २आजकी बेटी कल पत्नी मातापरसो वह भी बनेगी सास!बेटा आजका कल पती,पिता हैदादा,नाना परसो का खास!!                  … Read more

इंतज़ार आँखे में

इंतज़ार आँखे में इंतज़ार करती है आँखेहर उस शक्श की, जिसकी जेब भरी हो,किस्मत मरी हो, लूट सके जिसे,छल सके जिसे, इंतज़ार करती है आँखे। इंतज़ार करती है आँखेहर उस बीमार की, जो जूझ रहा है मर्ज में,औंधे पड़ा है फर्श में, कर सके जिससे अपनी जेब गर्म,लूट सके इलाज के बहाने, इंतज़ार करती है आँखे। इंतज़ार करती है आँखेहर … Read more

सांध्य है निश्चल -बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’

सांध्य है निश्चल रवि को छिपता देख, शाम ने ली अँगड़ाई।रक्ताम्बर को धार, गगन में सजधज आई।।नृत्य करे उन्मुक्त, तपन को देत विदाई।गा कर स्वागत गीत, करे रजनी अगुवाई।। सांध्य-जलद हो लाल, नृत्य की ताल मिलाए।उमड़-घुमड़ कर मेघ, छटा में चाँद खिलाए।।पक्षी दे संगीत, मधुर गीतों को गा कर।मोहक भरे उड़ान, पंख पूरे फैला कर।। … Read more