Author: कविता बहार

  • मौन बोलता है

    मौन बोलता है


    हाँ !
    मैं ठहर गया हूँ
    तुम्हारी परिधि में आकर
    सुन सको तो
    मेरी आवाज सुनना
    “मौन” हूँ मैं,
    मैं बोलता हूँ
    पर सुनता कौन है
    अनसुनी सी बात मेरी
    तुम्हारी “चर्या” के दरमियाँ
    मेरी    “चर्चा”  कहाँ ,
    काल के द्वार पर
    मुझे सब सुनते हैं
    जीवन संगीत संग
    मुझे सुन लिया होता
    रंगीन से जब
    हुए जा रहे थे
    संगीत जीवन का
    बज रहा था तब,
    व्योम
    कुछ धुंधलका समेटे है
    निराशा के बादल
    छाए हुए लगते हैं
    पर यह सच नहीं
    अतीत साक्षी है
    पलट कर देख लो तुम
    जिन्होंने सत्य को
    पा लिया जीवन में
    मौन को सुना और
    साध लिया उन्होनें.

    राजेश पाण्डेय अब्र
         अम्बिकापुर
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • हे धरती के भगवान

    हे धरती के भगवान

    1 मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 May International Labor Day
    1 मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 May International Labor Day

    हो तुम आसाधारण,
    तेरे कांधों पर दुनिया टिका है,
    तेरे खून के कतरे से ही  ,
    ये पावन धरती भिंगा है !!
    हे धरती के भगवान ,
    तु है बड़ा महान !!

    ऊसर भूमि उपजाऊ कर देता,
    कठोरता खुद हर लेता ,
    नित नव जुनून कुछ करने का ,
    कभी न सोचा स्वयं रखने का ,
    कमा-कमा कर तू रे प्यारे ,
    औरो को कर दिया धनवान …!!

    न धूप लगे न ठंड ,
    रहे नंद धड़ंग ,
    नहीं भय है बारिस का,
    न चिंता है वारिस का ,
    हाल कमाना हाल खाना ,
    नहीं रखता कोई खजाना !
    नही है मन मे कोई अभिमान …..!!

    ऊँचा-ऊँचा महल बनाया,
    ऐश्वर्य से खूब सजाया ,
    बड़े-बड़े कल कारखान कोे ,
    ऊँगली से खूब नचाया ,
    विकास तेरे हाथो से आगे बड़ा,
    तु रह गया वही का वही अनजान …. !

    गर तू कही कांधे हटा दे तो,
    देखना दुनिया मे गजब हो जाए !
    फलता फूलता यह चमन का ,
    एक-एक कलि यु ही मुरझा जाए !
    तेरे पल भर के  रूकने से,
    दुनिया की गति रूक जाए,
    सच कहे तो तू ही है मनू के संतान…. !

    जीवन भर तू खूब कमाया,
    पेट की आग न बुझा पाया ,
    न किमत तेरे मजदूरी का ,
    कोई सही-सही न दे पाया ,
    सोने को एक छत नही ,
    आलिशान महले बनाया ,
    ‘अनन्य’ तेरे महिमा का
    कर रहा गुनगान …!!
       दूजराम साहू ” अनन्य “
    निवास -भरदाकला(खैरागढ़)
    जिला- राजनांदगाँव (छ.ग.)

  • ढूँढूँ भला खुदा की मैं रहमत

    ढूँढूँ भला खुदा की मैं रहमत

     
    ढूँढूँ भला खुदा की मैं रहमत कहाँ कहाँ,
    अब क्या बताऊँ उसकी इनायत कहाँ कहाँ।
    सहरा, नदी, पहाड़, समंदर ये दश्त सब,
    दिखलाए सब खुदा की ये वुसअत कहाँ कहाँ।
    हर सिम्त हर तरह के दिखे उसके मोजिज़े,
    जैसे खुदा ने लिख दी इबारत कहाँ कहाँ।
    सावन में सब्जियत से है सैराब ये फ़िज़ा,
    बहलाऊँ मैं इलाही तबीअत कहाँ कहाँ।
    कोई न जान पाया खुदा की खुदाई को,
    (ये गम कहाँ कहाँ ये मसर्रत कहाँ कहाँ।)
    अंदर जरा तो झाँकते अपने को भूल कर,
    बाहर खुदा की ढूँढते सूरत कहाँ कहाँ।
    रुतबा-ओ-जिंदगी-ओ-नियामत खुदा से तय,
    इंसान फिर भी करता मशक्कत कहाँ कहाँ।
    इंसानियत अता तो की इंसान को खुदा,
    फैला रहा वो देख तु दहशत कहाँ कहाँ।
    कहता ‘नमन’ कि एक खुदा है जहान में,
    जैसे भी फिर हो उसकी इबादत कहाँ कहाँ।

    सहरा = रेगिस्तान
    दश्त = जंगल
    वुअसत = फैलाव, विस्तार, सामर्थ्य
    सिम्त = तरफ, ओर
    मोजिज़े = चमत्कार (बहुवचन)
    सब्जियत = हरियाली
    सैराब = भरा हुआ
    मसर्रत = खुशी
     
    बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
    तिनसुकिया

  • संवेदना के सुर बजे जब वेदना के तार पर

    संवेदना के सुर बजे जब वेदना के तार पर

    संवेदना के सुर बजे
                   जब वेदना के तार पर।
    वाल्मिकी की संवेदना जगी
                    आहत पक्षी चित्कार पर।।१।।
    प्रथम कविता प्रकट भयी
                      खुला साहित्य द्वार पर।
    कविता का नव सृजन
                      पैनी कलम की धार पर।।२।।
    भिगी पलके अश्रु अक्षर
                      शब्द पिरोये काव्य पर ।
    रामायण का श्रीगणेश
                      साहित्य अमर संसार पर।।३।।
    मर्म हिय का कर प्रकट
                      लिख साहित्य श्रृगांर पर।
    संवेदनाओ का आत्मसात
                       रच संस्कृति संस्कार पर।।४।।
    कवि भावना द्रवित हो
                         आहत क्रंदन पुकार पर।
    संवेदना के सुर बजे
                        जब वेदना के तार पर।।५।।
                   कमलकिशोर ताम्रकार “काश”
                     रत्नांचल साहित्य परिषद्
                      गरियाबन्द  छ.   ग.
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • सही दिशा मिल जाए तो

    सही दिशा मिल जाए तो

    उत्साह से परिपूर्ण होते हैं ये बच्चे,
    सही दिशा मिले ,तो विश्व को बदलते ये बच्चे,


    1- प्यारे-दुलारे सबके सहारे होते हैं ये बच्चे,
    चहकते, खुशियों से भरपूर होते ये बच्चे
    सब के दुखों को हर लें ऐसे होते ये बच्चे
    सही दिशा मिल जाए तो,


    2- जीवन जीने की कला सिखाते हैं ये बच्चे
    आनन्द और चंचलता से भरपूर हैं ये बच्चे
    भारत को उच्च शिखर पे पहुँचाते ये बच्चे
    सही दिशा मिल जाए तो,


    3- चाँद छूने की ख्वाइश रखते हैं ये बच्चे,
    सितारों की चमक को लजाते हैं ये बच्चे
    ज़रा से प्रयास से उत्साहित होते ये बच्चे
    सही दिशा मिल जाए तो,


    4- इनमें संयम, उत्साह कूट-कूट कर भरा है
    इन्हें सही दिशा दिखाओ ये मेरी इल्तज़ा है
    याद रखो देश के कर्णधार होते हैं ये बच्चे
    सही दिशा मिल जाए तो,


    5 इन्हें नैतिकता के मूल्यों से भरपूर करो यारो
    यदि ईमानदारी आदि गुणों का हो समावेश।
    तो विश्व-अग्रणी होगा मेरा प्यारा भारत देश।
    सही दिशा मिल जाए तो,

    श्रीमती वैष्णो खत्री
    से. नि.  शिक्षिका
    केंद्रीय विद्यालय क्र.1छिन्दवाड़ा