कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

इधर-उधर की मिट्टी

इधर-उधर की मिट्टी ऐ! हवाये मिट्टी जो तुमसाथ लाई होये यहाँ कीप्रतीत नहीं होतीतुम चाहती हो मिलानाउधर की मिट्टीइधर की मिट्टी मेंऔर इधर की मिट्टीउधर की मिट्टी मेंतभी तो लाती होले जाती होसीमा पार मिट्टीलेकिन कुछ ताकतें हैंइधर भीउधर भीजो…

नशे में चित

नशे में चित मेरा शहर है विख्यातनहरों की नगरी के नाम सेआज मैं घूमते-घूमतेपहुँचा नहर परपानी लड़खड़ाता-सातुतलाता-साहोश गवांकर बह रहा था बहते-बहतेपानी संग बह रहे थेप्‍लास्‍टिक के खालीडिस्‍पोजल गिलास-प्‍लेटचिप्स-कुरकरे के खाली पैकेटशराब व खारे कीप्‍लास्‍टिक की खाली बोतलेंजो फैंके गए…

निशा गई दे करके ज्योति

निशा गई दे करके ज्योति निशा गई दे करके ज्योति,नये दिवस की नयी हलचल!उठ जा साथी नींद छोड़कर,बीत न जाये ये जगमग पल!!भोर-किरन की हवा है चलती,स्वस्थ रहे हाथ  और  पैर!!लाख रूपये की दवा एक हीसुबह शाम की मीठी सैर!!अधरों…

हिन्दी बिन्दी भूल गये सब

हिन्दी बिन्दी भूल गये बड़े बड़े हैं छंद लिखैया,          सूनी किन्तु छंद चटसार|हिन्दी बिन्दी भूल गये सब,          हिन्दी हिन्दी चीख पुकार||है हैं का ही अन्तर भूले,      बिना गली खिचड़ी की दाल|तू तू में में मची हुई है,        नोंचत बैठ बाल…

कागा की प्यास

कागा की प्यास कागा पानी चाह में,उड़ते लेकर आस।सूखे हो पोखर सभी,कहाँ बुझे तब प्यास।।कहाँ बुझे तब प्यास,देख मटकी पर जावे।कंकड़ लावे चोंच,खूब धर धर टपकावे।।पानी होवे अल्प,कटे जीवन का धागा।उलट कहानी होय,मौत को पावे कागा।। कौआ मरते देख के,मानव…