कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

गर्मी बनी बड़ी दुखदाई

गर्मी बनी बड़ी दुखदाई ताल-तलैया नदियाँ झरनें,कुँआ बावली सब सूख गए।महि अंबर पर त्राहिमाम है,जीवन संकट अब विकट भए ।। तपती धरती कहती हमको,अतिशय दोहन अब बंद करो।हरा-भरा आच्छादित वन हो,तुम ऐसा उचित प्रबंध करो ।। ~कविता बहार से जुड़ने…

पेड़ धरा का हरा सोना है

पेड़ धरा का हरा सोना है  ये कैसा कलयुग आया हैअपने स्वार्थ के खातिरइंसान जो पेड़ काट रहा हैअपने ही पैर में कुल्हाड़ी मार रहा हैबढते ताप में स्वयं नादान जल रहा हैबढ़ रही है गर्मी,कट रहे हैं पेड़या कट…

पर्यावरण दूषित हुआ जाग रे मनुज जाग/सुधा शर्मा

Save environment

पर्यावरण दूषित हुआ जाग रे मनुज जाग/सुधा शर्मा धानी चुनरी जो पहन,करे हरित श्रृंगार।आज रूप कुरूप हुआ,धरा हुई बेजार।सूना सूना वन हुआ,विटप भये सब ठूंठ।आन पड़ा  संकट विकट,प्रकृति गई है रूठ।। जंगल सभी उजाड़ कर,काट लिए खुद पाँव।पीड़ा में फिर…

मैं छोटी सी टिवंकल

मैं छोटी सी टिवंकल मैं छोटी सी टिवंकल,क्या बताऊ क्या भोगा,आदमी के रूप में,राक्षस है ये लोगा ।मैं तो समझी उसको चाचा,मैं मुनियाँ छोटी सी,मैंने नही उसको बाँचा,गोद में बैठ चली गई,उस दरिंदे से छली गई ,दो उस कुत्तेको बद्दुआउस…

ट्विंकल शर्मा-श्रध्दांजली

ट्विंकल शर्मा-श्रध्दांजली धरती मांता सिसक रही है,देख के हैवानी करतूत!मां भी पछता रही है उसकी,मैने कैसे जन्मा ये कपुत!!पढ़कर खबरो को सैकड़ो,माताओ के अश्क गिरे!सोच रही है क्यो जिंदा है,ये वहशी अबतक सरफिरे!!दरिंदे उसकी नन्ही उम्र का,थोड़ा तो ख्याल किया…