गरीबी का घाव
गरीबी का घाव आग की तपिस में छिलते पाँवभूख से सिकुड़ते पेटउजड़ती हुई बस्तियाँऔर पगडण्डियों परबिछी हैं लाशें ही लाशेंकहीं दावत कहीं जश्नकहीं छल झूठे प्रश्नतो कहीं …. आलीशान महलों की रेव पार्टियाँदो रोटी को तरसतेहजारों बच्चों परकर्ज की बोझ…