दहेज पर कविता
दहेज पर कविता बेटी कितनी जल गई , लालच अग्नि दहेज ।क्या जाने इस पाप से , कब होगा परहेज ।।कब होगा परहेज , खूब होता है भाषण ।बनते हैं कानून , नहीं कर पाते पालन ।।कह ननकी कवि तुच्छ , . रिवाजों की बलि लेटी ।रहती है मायूस , बैठ मैके में बेटी ।। … Read more