मन की जिद ने इस धरती पर कितने रंग बिखेरे
मन की जिद ने इस धरती पर कितने रंग बिखेरे दिन गुजरे या रातें बीतीं ,रोज लगाती फेरे।मन की जिद ने इस धरती पर, कितने रंग बिखेरे।कभी संकटों के बादल ने, सुख सूरज को घेरा।कभी बना दुख बाढ़ भयावह ,मन…
मन की जिद ने इस धरती पर कितने रंग बिखेरे दिन गुजरे या रातें बीतीं ,रोज लगाती फेरे।मन की जिद ने इस धरती पर, कितने रंग बिखेरे।कभी संकटों के बादल ने, सुख सूरज को घेरा।कभी बना दुख बाढ़ भयावह ,मन…
चहचहाती गौरैया चहचहाती गौरैयामुंडेर में बैठअपनी घोसला बनाती है,चार दाना खाती हैचु चु की आवाज करती है,घोसले में बैठेनन्ही चिड़िया के लिएचोंच में दबाकरदाना लाती है,रंगीन दुनिया मेंअपनी परवाज लेकररंग बिखरेती है,स्वछंद आकाश मेंअपनी उड़ान भरती है,न कोई सीमान कोई…
होली के बहाने ओ मोहना – केवरा यदु होली के बहाने ओ मोहनारंग लगाने की कोशिश न करना । बड़ा छलिया है तू ओ रंग रसिया ।दिल चुराने की कोशिश न करना । बहुत भोले भाले बनते कान्हाअब सताने की…
विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के सभी देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करना है। जल संकट पर…
नास्तिकता पर कविता हमें पता नहींपर बढ़ रहे हैंधीरे धीरेनास्तिकता की ओरत्याग रहे हैंसंस्कारों को,आडम्बरों कोसमझ रहे हैंहकीकतअच्छा है।परजताने कोबताते हैंमैं हूँ आस्तिक।फिर भीछोंड रहे हैंहम ताबीजमजहबी टोपीनामकरण रस्मझालर उतरवानाबहुत कुछ।बढ़ रहे हैंधीरे धीरेनास्तिकता की ओरक्योंकिनास्तिकता हीवैज्ञानिकता है। राजकिशोर धिरहीकविता…