वक्त ने सितम क्या ढाया है
वक्त ने सितम क्या ढाया है यह कैसी बेवसी है ,कैसा वक्त,अपनी हद में रह कर भी सजा पाईचाहा ही क्या था फ़कत दो गज जमीन ,वो भी न मिली और महाभारत हो गयी।चाहा ही क्या था बस अपना हक…
वक्त ने सितम क्या ढाया है यह कैसी बेवसी है ,कैसा वक्त,अपनी हद में रह कर भी सजा पाईचाहा ही क्या था फ़कत दो गज जमीन ,वो भी न मिली और महाभारत हो गयी।चाहा ही क्या था बस अपना हक…
यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। माँ सी हो गई…
नाराज़- डॉ० ऋचा शर्मा माँ बेटे से अक्सर रहती है नाराज़नहीं करता बेटा कोई भी काजयही समझाना चाहती है माँजीवन का गहरा राज़बस इसीलिए रहती है बेचारी नाराज़बेटे को पहनाना चाहती हैकामयाबी का ताज़समाज को मुँह दिखा पाऊँरख ले बेटा…
रात ढलती रही रात ढलती रही, दिन निकलते रहे,उजली किरणों का अब भी इंतजार है।दर्द पलता रहा, दिल के कोने में कहीं ,लब पर ख़ामोशियों का इजहार है।जीवन का अर्थ इतना सरल तो नहीं,कि सूत्र से सवाल हल हो गया।एक…
बसंत तुम आए क्यों ? मन में प्रेम जगाये क्यों?बसंत तुम आए क्यों ? सुगंधो से भरीसभी आम्र मंजरीकोयल कूकती फिरेइत्ती है बावरीसबके ह्रदय में हूक उठाने मन में प्रेम जगाये क्यों?बसंत तुम आए क्यों ? हरी पत्तियाँ बनी तरुणीआलिंगन…