अकड़ पर कविता

अकड़ पर कविता जीवन के इस उम्र तकना जाने कितने मुर्दे देखे।  कितनो को नहलाया   तैयार भी कियाऔर पाया    केवल अकड़सचमुच मुर्दो में अकड़ होती है  लेकिन जीते जी इंसान   क्यूं दिखाते है अकड़         क्या वे मुर्दे के समान है         या यही उनकी पहचान हैमरना तो सब को हैफिर अकड़ अभी से क्यूं??   जियो जी … Read more

शिक्षा रोजगार पर कविता

शिक्षा रोजगार पर कविता शिक्षा की महिमा अति भारी।जन मन में करती उजियारी।ज्ञान प्रकाश हृदय भर देती।मन के सकल तमस हर लेती।।1।। विविध विषय के बनकर ज्ञाता।बनकर अपने भाग्य विधाता।।युवा कर्म पथ बढते जाते।अनुसंधान सफल हो पाते।।2।। रोजगार से शिक्षा जुड़ती।मानो गंध स्वर्ण में भरती।।बढे सृजन पथ युवा शक्ति जब।जग मंगल के कार्य सधे तब।।3।। … Read more

अब गरल है जिंदगी

अब गरल है जिंदगी. शौक कहाँ साहेब,तब जरूरतें होती थीं,रुपया बड़ा,आदमी छोटा,पूरी न होने वाली हसरतें होती थीं!मिठाइयों से तब सजते नहीं थे बाज़ार,आये जब कोई,पर्व-त्योहार,पकवानों से महकता घर,भरा होता माँ का प्यार! तब आसमान में जहाज देखआँगन में सब दौड़ आते ,आज हर बच्चा उड़ रहा है,पानी में कागज की नाँव?अचरज कर रहा है! … Read more

हरियाली पर कविता

हरियाली पर कविता एक वृक्ष सौ पुत्र समान|जंगल वसुधा की शान||पर्यावरण सुरक्षित कर |धरती का रखें सम्मान|| स्वच्छ परिवेश बनाना है|पेड़ अधिक लगाना है ||हरितमा बनीं धरा को |धानीं चुनर पहनानाहै|| हरियाली चहुं ओर आयी|ठंडी हवा बही सुखदायी||धरा बनीं है आज दुल्हन|कारी बदरी गगन पर छायी|| पंछी उड़े उन्नत गगन |जैसे पायल की छनछन||पंखो को … Read more

नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषा

नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषा नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषानमन तुम्हें से मातृभाषाजीवंत तुम्हें अब रहना हैपुष्पों के जैसे खिलना है। अंग्रेजों ने था अस्तित्व मिटायाहिन्दी भाषा को मृत बनायाअपनी भाषा का परचम लहरायाहमारी भाषा को हमसे किया पराया। आजा़दी के बाद भी हिन्दीसंविधान में मौन पड़ी हैद्वितीय भाषा का कलंक झेलतीअंग्रेजी प्रथम स्थान पर खड़ी है। … Read more