प्रिय का अनुपम श्रृंगार
प्रिय का अनुपम श्रृंगार चंदन, कालीयक, अंगरू, सुगंध मिल,क्या खूब बना है अंगराग।स्नान के जल पुष्प से सुरभित,लो कर लिए तुमने जलविहार,देख मेरा मन बोल उठा अब,प्रिय का अनुपम श्रृंगार ।। केसर,कमल,मंदार,शिरीष सब,शरीर की सज्जा बढ़ाती है,मुंह सुगंधित करने को तूम,तांबुल, पान जो खाती है,कानों में शोभित है झुमके,शोभ रहा नौलखा हार,देख मेरा मन बोल … Read more