गीत अब कैसे लिखूं
गीत अब कैसे लिखूं स्वप्न आंखों में मरे हैं,पुहुप खुशियों के झरे हैं,गीत अब कैसे लिखूं।। सूखती सरिता नयन की,दिन फिरे चिंतन मनन की।अब निभाता कौन रिश्ता,सात जन्मों के वचन की।।प्रिय जनों के साथ छूटे,शेष अपने वही रूठे।गीत अब कैसे लिखूं।। हसरतों के झरे पत्ते,वृक्ष से उघरे हुए हम।कर तिरोहित पुण्य पथ को,धूल से बिखरे … Read more