ऋतुराज का आगमन
ऋतुराज बसंत लेकर आये
वसंत पंचमी, शिवरात्रि और होली
आ रही पेड़ों के झुरमुट से
कोयल की वो मीठी बोली ।
बौरों से लद रहे आम वृक्ष
है बिखर रही महुआ की गंध
नव कोपल से सज रहे वृक्ष
चल रही वसंती पवन मंद ।
पलाश व सेमल के लाल-लाल फूल
भँवरे मतवाले का मधुर गान
सौन्दर्य बिखेरती मौसम सुहावना
और बागों में फूलों की शान ।
राग बसंत की मधुर गीत
वसंतोत्सव, मदनोत्सव का खूमार
प्रकृति झूम उठती वसंत आगमन से
और हरियाली करती है श्रृंगार ।
✍बाँके बिहारी बरबीगहीया