बसंत का आगाज़

संत का आगाज़

ये कैसी झुरझुरी है,
कैसा मधुर आभास है।।
सर्द ऋतु के बाद सखी,
बसंत जैसा अहसास है।।

खेतों में सरसों महकी,
पीला ओढ़ा लिबास है।।
धरा बिखरी हरियाली सखी,
चहुंओर फैला उल्लास है।।

चीं चीं चीं चिड़िया चिहुंकी,
ये तो बसंत का अहसास है।।
हां हां सखी सही समझी,
ये तो बसंत का आगाज़ है।।

सरस्वती मां की वीणा से,
सुरीली सी झंकार है।।
कोयल कुहूं कुहूं बोली सखी,
बसंत का आगाज़ है।।

झूमो नाचो खुशियां मनाओ,
त्यौहारों का आगाज़ है।।
शिवरात्रि फिर होली सखी,
बसंत से हुई शुरुआत है।।

राकेश सक्सेना,
3 बी 14 विकास नगर,
बून्दी (राजस्थान)
मो. 9928305806

Comments

  1. Mahesh Goswami

    बसंत की खुशबू आ गई भाई 👌👌

  2. Satish Jishi

    Ati sunder

  3. chandra sekhar

    Welldone bro very nice

  4. NEERAJ Sharma

    Basant pr achhi rachna – well-done

  5. Ashok Nama

    bahut khoooob dear

  6. kailash

    Vaaaah Bhai Sahab

  7. Hukum chand

    Very Good

  8. Mukesh verma

    मनमोहक,,,,,, अति सुंदर,,,,,

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