Category हिंदी कविता

अब तो खुलकर बोल

अब तो खुलकर बोल* शर्मिलापन दूर भगाकर,घूँघट के पट खोल!बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुल कर बोल!!जीवन की अल्हड़ता देखी,खुशियाँ थी अनमोल!दुख को देखा इन नैनों से,तर्क तराजू तोल!ऊंच नीच की गलियाँ देखी,अक्षर अक्षर बोल!बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुलकर…

पुलवामा की घटना

पुलवामा की घटना पुलवामा की घटना देख,                              देश बड़ा शर्मिंदा है।धिक्कार हमारे भुजबल पर ,                      अब तक कातिल जिन्दा है।वो बार -बार हमला करते ,                          हम शांति वार्ता करते है।दुश्मन इस गफलत में है,                        शायद हम उससे डरते है।गीदड की…

अब तो बस प्रतिकार चाहिए

अब तो बस प्रतिकार चाहिए आज लेखनी तड़प उठी हैभीषण नरसंहार देखकर।क्रोध प्रकट कर रही है अपनाज्वालामुखी अंगार उगलकर।दवात फोड़कर निकली स्याहीतलवारों पर धार दे रही।कलम सुभटिनी खड्ग खप्पर लेरण चण्डी सम हुँकार दे रही।जीभ प्यास से लटक रहीवैरी का…

शारदे आयी हो मेरे अंगना

शारदे आयी हो मेरे अंगना हे माँ शारदे, महाश्वेता आयी हो मेरे अंगना ।पूजूँगा तुम्हें हे शतरूपा, वीणापाणि माँ चंद्रवदना ।। बसंत ऋतु के पाँचवे दिवस पर हंस पे चढ़ कर आती हो।हे मालिनी इसलिए तुम हंसवाहिनी कहलाती हो।।माता तुम…

पिया जी देखो वसंत आ गया

पिया जी देखो वसंत आ गया पेड़ो के झुरमुट से आतीकोयल की मीठी बोलीफूलों की हर कली पर देखोमतवाले भवरों की टोलीआम वृक्ष मंजरी व टिकोरो से लदबद गया ।पिया जी देखो वसंत आ गया ।। बेल वृक्ष पर आये…

एक कविता हूँ

एक कविता हूँ! उंगलियों में कलम थामेसोचता हूँ…कि कहींहै वह ध्वनिजो उसे ध्वनित करे…!मैं अंतरिक्ष में तैरता..कल्पनाओं मेंछांटता हूँशब्दमीठे -मीठेकोई शब्द मिलता नहीं मुझेजो इंगित करे उसेबस….उंगलियों से ही उसे –उकेरता हूँ …मिटाता हूँ ।उंगलियों में कलम थामे…मैं सोचता हूँ…

बेचकर देखों मुझे जरा

बेचकर देखों मुझे जरा पूछने से पहले जवाब बना लिये।यार  सवाल तो गजब़ बना लिये। किसी ने पूछा ही नहीं मैं जिंदा हूँ,मगर तुम हसीन ख्वाब बना लिये। और और,और कहते रहे गम को,लो आशुओं का हिसाब बना लिये। मेरी…

जीवन की डगर

जीवन की डगर कुछ तुम चलो,कुछ हम चलें,जीवन की डगर पर साथ चले।लक्ष्य को पाना है एक दिन,निशदिन समय के साथ चलें।सुख दु:ख के हम सब साथी,अपनत्व प्यार बाँटते चलें।अटल विश्वास हमारा मन में,मंज़िल की ओर हम बढ़ चलें।हिम्मत,परिश्रम और…

सुख दुख पर कविता

सुख दुख पर कविता सुख का सागर भरे हिलोरे।जब मनवा दुख सहता भारी।सुख अरु दुख दोनों ही मिलकर।जीवन की पतवार सँभारी।दुखदायी सूरज की किरणें।झाड़न छाँव लगे तब प्यारी।भूख बढ़े अरु कलपै काया।रूखी सूखी पर बलिहारी।पातन सेज लगे सुखदायक।कर्म करे मानव…